**दादी नानी की कहानी जिसे हम सब बहुत ही ध्यान से सुनते और उस कहानी में खो जाते | हमे लगता सब सची है लेकिन ये सिर्फ मनोरजन के लिए है|
एक राजा थे और उसकी सात रानियां थीं। राजा बहुत परेशान रहते थे क्योंकि उनकी किसी भी रानी को एक भी बच्चा नहीं था। राजा हर मुम्किन कोशिश कर चुके थे, क्या वेद क्या दवा सब कर निराश हो चुके थे।
एक दिन राजा अपने बागीचे में परेशान टहल रहे थे, वहीं पर दो माली काम करते हहुए आपस में बात कर रहे थे, कि गांव में एक बोहोत बड़े संत महात्मा आए हैं उनके पास हर समस्या का हल है, लोगो को देखते ही उसकी परेशानी का हल बता देते है।
राजा माली कि बातें सुनकर बोले हम उन संत से मिलना चाहते है। उन्हें हमारे दरबार में आने के लिए कहो। माली बोला महाराज वो संत अपनी कुठिया छोड़ कर कहीं नही जाते।
अगर आपको उनसे मिलना है तो आपको उनके पास जाना होगा। राजा त्यार हो गए और संत से मिलने के लिए चल दिए।
राजा जब संत की कुठया में गए तो संत ने उन्हें देखते ही उनकी परेशानी का हल बता दिया। संत ने राजा को सात फल दिए और कहा कि लो ये फल अपनी रानियों को देना और कहना बिना दांत में अटके हुए इस फल को खाना है।
अगर अच्छी तरह से खाए तो उन सभी को एक पुत्र होगा। लेकिन जिसके दांत में अटका उसको होगा मटका।राजा फल लेकर रानियों के पास गए और एक एक फल सभी को दिया और कहा इस फल को बोहोत अच्छी तरह से खाना है।
बिना दांत में अटकाए सभी रानियों ने फल को बोहोत अच्छी तरह से खाए लेकिन सातवीं रानी ने राजा कि बातो को गंभरता से नहीं लिया। और पुत्र की चाह में उस फल को जल्दी जल्दी से खाने लगी।
खाते खाते फल रानी के दांत में अटक गया। पर रानी ने किसी से कहा नहीं। इसी तरह समय बीतते गए और सतो रानियों को गर्व रहा। नोवे महीने छै रानियों को पुत्र हुआ।
लेकिन सातवीं रानी को मटका हुआ, राजा को जब पता चला तो राजा रानी से पूछने लगे क्या तुम्हारे दांत में फल अटका था।
रानी ने रोते हुए कहा राजा फिर उस संत के पास गए और संत को सब बताया। संत ने कहा महाराज जो होता है वो अच्छे के लिए होता है।मटका हो या मनुष्य आपका पुत्र है। सभी कि तरह वो भी आम जीवन ही जीएगा।राजा ने तो संत पर विश्वास किया पर रानी खुश नहीं थी ।
सभी रानियां अपने बच्चो को खिलाती पिलाती नहलाती उनसे बातें करती खेलती छै रानिया बोहोत खुश थी। और उतना ही सातवीं रानी अपने मटके को देख कर रोती रहती।और अपने किए पर बोहोत पछताती।
मटके को भूक लगती तो रानी मटके में पूरा दूध भर देती तो सारा दुध गायब हो जाता। धीरे धीरे सभी बच्चे बड़े हो गए। सभी राजकुमार शिकार खेलने के लिए जारहे थे तभी अंदर से मटका भी लुढ़कते लुढ़कते बाहर आया और बोला में भी शिकार खेलने चलूंगा ।
सभी राजकुमार हसने लगे। और कहने लगे तुम कैसे शिकार करोगे ना तुम्हारे हात है न पैर है।तुम तो एक मटके हो ऎसा कह कह कर मज़ाक उड़ाने लगे। और सभी राजकुमार शिकार खेलने के लिए चल दिए।
मटका भी पीछे पीछे चल दिया। राजकुमार दिन भर शिकार धुंडते रहे लेकिन उन्हें एक भी शिकार न मिला तो सभी राजकुमार घर की ओर जाने के लिए जाने ही वाले थे कि वहा से मटके को आते देख रुक गए और हैरान रह गए। उन्हों ने देखा कि मटके के मुंह में शेर का शिकार है। सब पूछने लगे कि ये तुम ने केसे किया।
मटके ने बताया शेर को प्यास लगी थी, और वो पानी दुंड रहा था में नदी से पानी निकाल कर लाया और शेर के सामने बैठ गया।
शेर ने पानी देखा मुंह लगा कर पीने लगा।और मैने शेर को दबोच लिया और वह मर गया। मटका महल पोहचा और मा मा पुकारने लगा।मटके कि मा दरवाजे पर आई तो देखा मटके के मुंह में शेर का शिकार सब रानियां कहने लगी हमारे बेटे खाली हाथ लौट आए और तुम्हारे बेटे ने शेर का शिकार ले आया। मटके कि खूब तारीफ हुई।
कुछ दिन बाद दूसरे राज्य के राजा ने लड़ाई का ऎलान किया। सभी राजकुमार लड़ाई के लिए जा रहे थे। तो मटका भी पीछे हटने वाला नहीं था। वो भी पीछे पीछे चल दिया।
लड़ाई के मैदान में जम के लड़ाई हुई दूसरे राज्य के राजा जितने ही वाले थे, कि अचानक उनका पैर मटके में जा फसा राजा ने हर कोशिश कर रहा था।अपना पैर किसी तरह मटके में से निकाल लू सारे सिपाही मटके को तोड़ते तोड़ते थक गए आखिर में राजा बोला अगर तुम मेरा पैर छोड़ दोगे तो में तुम्हें अपना राज्य तुम्हें देदुंगा और ये लड़ाई छोड़ दूंगा। मटका लड़ाई जीत कर घर आया और मा को पुकारने लगा मा थाली सजाकर लाओ मैं लड़ाई जीत कर आया हूं। सभी रानियां कहने लगी हमारे बेटे मार खाकर आए हैं। और तुम्हारा बेटा जीत कर। रानी और राजा दोनों खुश हुए।अब सभी राजकुमार शादी के लायक हो गए थे।
एक राज्य से सभी राजकमारो को सव्यंबर का न्यौता आया।लेकिन मटके को न्यौता नहीं आया सभी राजकुमार स्वयंवर के लिए निकल पड़े। मटका भी पीछे पीछे चल दिया।सभी राजकुमार स्वयंवर के लिए खड़े हो गए और बगल में मटका भी बैठ गया ।
उस पर किसी का ध्यान नही था।सब का ध्यान तो राजकुमारी पे था कि वो किसके गले में हार डालेगी। राजकुमारी धीरे धीरे आगे बढ़ रही थी। अचानक उसका पैर फिसला और हार मटके में जा गिरा राजकुमारी ने मटके में हात डाला कि हार निकाल लू हात डालते ही हात बाहर आ ही नहीं रहा । राजकुमारी चीखने लगी मेरा हात फस गया है।
कोई बाहर निकालो तो मटके से आवाज़ आई तुम ने मुझे हार पहनाया है अब तुम मेरी रानी हुई।मेरे साथ मेरे राज्य चलो।डोली में रानी को बिठा कर मटका अपने राज्य ले गाया।और मा को पुकारने लगा ।
माँ माँ आरती की थाली लाओ डोली आई दुल्हन उतारिए । रानी थाली लेके आई दुहन की आरती उतारी सभी रानियों ने दुल्हन को देखा और कहा कितनी सुंदर दुल्हन लाया है तुम्हारा बेटा।
हमारे बेटे खाली हाथ लौट आए।हमारे बेटे हात पैर होते हुए भी खाली हाथ लौट आए तुम्हारा बेटा मटका होते हुए भी कुछ ना कुछ ले कर ही आया है।कुछ दिन बाद रानी ने अपनी बहु से पूछा रात को तुम किस्से बात करती हो।
बहु ने जवाब दिया में आपके बेटे से ही बात करती हूं रात होते ही वो एक सुंदर राजकुमार के रूप में आ जाते है।और दिन में वो फिर से मटका बन जाते है ।उसकी सास ने कहा रात में जब वो मटके से बाहर आ जाए तो मटके को तोड़ देना।रानी ने ऐसा ही किया दूसरे दिन दरवाज़ा खोला तो एक सुंदर सा राजकुमार बाहर निकला और भिर सब खुशी से रहने लगे,🤗🤗🤗