किसी गांव में एक रवि नाम का खिलौने वाला और उसका छोटा सा परिवार रहता था। उसकी दो बेटी दोनों का नाम कोमल और काया था। एक बेटा जिसका नाम Raja था, और उसकी पत्नी गीता थी।
रवि रोज की तरह सुबह से ही मिट्टी के खिलौने बनाने में लग जाता और गीता घर के सभी काम ख़तम कर रवि की मदद खिलौने बनाने में भी करती थी।
दोनों बेटियां स्कूल से जब घर आती तो अपने छोटे भाई की देखभाल भी करती।
रवि और गीता, दोनों दिन भर में खिलौने त्यार कर देते और रवि शाम होते ही खिलौने बेचने चला जाता ।
गीता भी अपने घर के कामों में लगी रहती। गीता का बेटा जो दोनों बहनों से छोटा था इसलिए उसे सबसे ज्यादा प्यार मिलता था दोनों बहने भी अपने छोटे भाई से बहुत प्यार करती थी ।
गीता भी अपने बेटे के सेवा भाव में कोई कमी नहीं रखती थी । रवि भी खिलौने बेचकर रात को जब घर आता तो अपने तीनों बच्चो के लिए कुछ न कुछ जरूर लाता था ।
इसी तरह चलता रहा साल बीतते गए। अब तीनों बच्चे बड़े हो चुके थे दोनों बेटियों की शादी हो गई और वो अपने घर चली गई ।
अब रवि और गीता चाहते थे कि अब उनका बेटा उनके काम में हाथ बटाएं । पर राजा को हमेशा ही इतने लाड प्यार से रखा गया था कि उसे लगता था कि वो अपने नाम की ही तरह एक राजा ही है ।
वो दिन भर बस दोस्तो के साथ मटर गशती करते रहता और उसे मदद करने कि भी आदत थी ।जिसका उसके दोस्त हमेशा फायदा उठाते ।
रवि और गीता ने अपने बेटे को लाख समझाया पर उसकी समझ में कुछ भी न आया।
एक दिन राजा के दोस्त ने कहा मेरी दादी की तबीयत ठीक नहीं है मुझे कुछ पैसों की जरूरत है। सभी दोस्तो ने कोई न कोई बहाना बनाया और पैसे देने से मना कर दिया।
राजा ने कहा डरो मत में तुम्हारी मदद करूंगा । राजा ने कुछ पैसे दिए और अपने घर लेजाकर खाना भी खिलाया और अपने कुछ नए कपड़े भी दिए।
रवि और गीता जब घर आते तो राजा को ऐसा करते देख वो और भी परेशान हो गए। अब तो ये रोज़ का हो गया था राजा की ये आदत कैसे सुधारे बस दिन रात यहीं सोचते रहते थे ।
एक दिन उनकी बड़ी बेटी अपने माता,पिता से मिलने आई दोनों को परेशान देख कर पूछने लगी क्या बात है । राजा के बारे में सब कुछ बताया।
बड़ी बेटी कोमल ने कहा उसे कुछ दिन के लिए अकेला छोड़ दो खुद ही अक्कल ठिकाने आ जाएगी।
कोमल अपने माता-पिता को अपने साथ धाम की यात्रा पर ले गई ।
दिन भर घूम घाम के राजा जब अपने घर आया तो उसे अपने माता,पिता दिखाई नहीं दिए एक टेबल पर लेटर लिखकर छोड़ा था ।
राजा ने उस लेटर को पढ़ा और कहा ठीक है कुछ दिन मुझे भी आराम मिलेगा।
Raja अभी भी उसी तरह अपने दोस्तो में पैसे उड़ता अपनी चीजें देता था और शाम को जब घर आता तो अपने माता,पिता को न पाकर उदास हो जाता ।
उसे अब ये महसूस होने लगा था । उसे अपने हाथों से खाना खिलाने को कोई नहीं है उसके पिता जो उसे इतनी बाते किया करते थी वो भी नहीं है ।
अब राजा को घर में बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था ,और उसके दोस्त भी अब उसके पास नहीं आए थे क्योंकि अब उसके सारे पैसे भी ख़तम हो गए थे।
अब Raja को लगने लगा कि वो माता पिता के बिना नहीं रह सकता है ।
एक दिन राजा अपने घर की चौखट पर बैठा हुआ था । और वहा से एक बुज़ुर्गो जोड़ा जा रहा था तभी अचानक बूढ़ी औरत चलते चलते गिर पड़ी तो Raja ने दौड़ कर बूढ़ी औरत को सहारा दिया।
Raja ने पूछा आप दोनों कहा जा रहे है मुझे बताइए में आप दोनों को छोड़ देता हूं ।
बुज़ुर्ग महिला बोली ये तो हम भी नहीं जानते कि हम कहा जा रहे है । हमारा एक ही बेटा हे उसने भी हमे छोड़ दिया है । इतना कहकर आगे चल दिए।
राजा को समझ आया कि वो अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझेगा तो उसके माता, पिता की भी ऐसी हालत हो जाएगी।
राजा ने अपने पिता को खिलौने बनाते देख कर उसी तरह वो भी करने लगा और वो बहुत अच्छे खिलौने बनाने भी लगा।
यात्रा से जब उसके माता,पिता आय तो राजा को काम करता देख उसे गले से लगा कर खूब प्यार बरसाने लगे । राजा ने कहा में अपनी जिम्मेदारियों को समझ चुका हूं अब आप दोनों बस आराम करो में आप दोनों की सेवा करूंगा।
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