दिन-रात अपनी प्रजा के बारे में सोचने वाला राजा!
प्रजा का प्यारा राजा Really a lovely king
एक राजा था। जो बहुत ही अच्छा और अपनी प्रजा के लिए ही सोचता और उनकी उन्नति के बारे में जो हो सके वो करता!
लेकिन राजा के दरबार में रोज कोई न कोई शिकायत लेके आ ही जाता राजा उन शिकायतों को दूर करते?
लेकिन राजा अपने राज्य को इतना बेहतर बनाना चाहते थे कि उनके दरबार में कोई शिकायत लेके न आय!
राजा ने अपने खास मंत्री से अपनी समस्या का समाधान मांगा , राज मंत्री ने कहा महाराज जब तक हमारी प्रजा अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझेगी तब तक ये शिकायते दूर नहीं होंगी!
उन्होंने कहा क्या मतलब , क्या हमारी प्रजा अपनी जिम्मेदारियों को नहीं समझती!
राजा ने अपनी प्रजा की परीक्षा कैसे लेनी चाहिए?
मंत्री के कहने पर राजा ने अपनी प्रजा की परीक्षा लेने की सोची , रातो रात राजा ने एक बड़ा सा पत्थर बीच सड़क पर डलवा दिया !और भेस बदल कर देखने लगे कि कोन उस पत्थर को हटाता है!
अब जो भी उस रास्ते से गुजरता उसे पत्थर से उसे ठोकर लगती , पर कोई भी उस पत्थर को हटाने की कोशिश नहीं करता!
सभी राजा को दोष देते कि राजा को अपनी जिम्मदारियों को पूरी तरह से नहीं निभा रहे हैं!
बीच सड़क पर इतना बड़ा पत्थर रखा है! और हमारे राजा को इसकी कोई फिक्र ही नहीं , वो तो अपने महल में कितने आराम से है! और हमे तो कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है!
ऐसे ही जो भी गुजरता वो बस राजा पर दोष लगता ! पर कोई भी इस समस्या को खुद सुलझाने की कोशिश नहीं करता!
राजा ये सब देख रहे थे! और उनके समझ में आया कि जब तक सब एक जुट होकर अपनी समस्या को सुलझाने की कोशिश नहीं करेंगे तब तक कुछ भी ठीक नहीं होगा!
राजा निराश होकर लौटने ही वाले थे! कि उन्होंने देखा कि एक सब्जी वाला वह से उसी रास्ते पर आ रहा है!
सब्जी वाले के सर पर इतना बोझ होने के बाद भी उस पत्थर को हटाने की कोशिश कर रहा था!
आखिरकार सब्जी वाले ने उस पत्थर को हठा ही दिया! और जैसे ही पत्थर हटा सब्जी वाले को एक पोटली मिली और उसमें एक चिट्ठी थी!
चिट्ठी में लिखा था कि जो अपनी जिममेदारियों को समझेगा उसके लिए ये इनाम है!
सब्जी वाला इनाम पाकर बहुत खुश हुआ और मन ही मन अपने राजा को धन्यवाद किया!