अंग्रेजों ने 2 सौ सालों तक भारतीयों पर बहुत अत्याचार किए। उनकी सबसे क्रूर सजा में से एक थी ( Black water punishment ) काला पानी की सजा आखिर क्या है इस सजा में जो इसके बारे में सुनते ही सभी के रोंगटे खड़े हो जाते हैं।
अंडमान निकोबार में बनी जेल में आज भी काला पानी की दर्दनाक दास्तान गूंजती है।
![अंदमान निकोबार द्वीप को क्यूँ बोला जाता है काले पानी कि सजा | Dangerous Andaman](https://i0.wp.com/mlvfgv8ikapy.i.optimole.com/maW5yMY.ZEJv~5292d/w:auto/h:auto/q:84/process:8173/id:9443edceed54c9298d6c18b8e6ad6aed/https://redaam.in/maxresdefault_resize_41.jpg?fit=700%2C393&ssl=1)
आज यह एक राष्ट्रीय स्मारक है। लेकिन बटुकेश्वर दत्त और वीर सावरकर जैसे अनेक सेनानियों की दर्दनाक कहानी आज भी यह जेल सुनाती है।
भारत जब गुलामी की बेड़ियों में बंधा हुआ था। अंग्रेजी सरकार भारतीयों पर जुल्म कर रही थी। हजारों सेननियों को फांसी दे दी गई तोपों के मुंह पर बात कर उन्हें उड़ा दिया गया। कोई ऐसे भी थे जिन्हें तिल तिल कर मारा गया था।
इसके लिए अंग्रेजों के पास सेल्यूलर जल का स्तर था। सेल्यूलर जेल का निर्माण 1896 में प्रारंभ हुआ और 1906 में बनकर यह तैयार हो गई। इसका मुख्य भवन लाल ईंटों से बना हुआ है। यह ईंटें बर्मा से लाई गई जो आज म्यानमार के नाम से जाना जाता है।
इस भवन की 7 शाखाएं हैं और बीचों-बीच एक टावर है। इस टावर से सभी कैदियों पर नजर रखी जाती थी।
![History, Heritage,Culture, Food, Travel, Lifestyle Black water punishmen](https://i0.wp.com/mlvfgv8ikapy.i.optimole.com/maW5yMY.ZEJv~5292d/w:auto/h:auto/q:84/process:8174/id:854a95ec8843b041f76484b001293249/https://redaam.in/Youtube-Without-text_00_00_48_11_Still055_resize_75.jpg?fit=700%2C393&ssl=1)
ऊपर से देखने पर यह एक साइकिल के पहिए की तरह दिखाई देता है। टावर के ऊपर एक बहुत बड़ा घंटा लगा था।
जब किसी भी तरह का संभावित खतरा होने पर बजाया जाता था। सेल्यूलर जेल अंग्रेजों द्वारा भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर किए गए अत्याचारों की प्रमुख गवाह है। किस जेल में कुल 698 कोठरिया बनी थी। प्रत्येक कोठरी 15 बाई 8 फीट की थी।
इनको कोठरियों में 3 मीटर की ऊंचाई पर रोशनदान बनाए गए थे। ताकि कोई भी एक कैदी दूसरे कैदी से बात कर ना सके। इस जेल को सेल्यूलर इसलिए नाम दिया गया था क्योंकि यहां एक कैदी से दूसरे कैदी को अलग रखा जाता था।
जेल में हर कैदी के लिए एक अलग सेल होती थी। यहां का किला बंद Black water punishment कैदी के लिए सबसे डरावना होता था। भारत में सबसे बड़ी और बुरी सजा के लिए मुहावरा बना हुआ है। या स्थान चारों ओर से गहरे समुद्र से घिरा हुआ है।
जहां से सैकड़ों किलोमीटर दूर पानी के अलावा कुछ भी नजर नहीं आता था।
![भारत की इस जेल में सिर्फ एक कैदी रहता है, Black water punishment](https://i1.wp.com/mlvfgv8ikapy.i.optimole.com/maW5yMY.ZEJv~5292d/w:auto/h:auto/q:84/process:8175/id:6ab793a2dc533dd290410d46058e72ad/https://redaam.in/diu_fort_jail_4277179_835x547-m_crop_32_resize_50.jpg?fit=700%2C466&ssl=1)
यहां का अंग्रेज सुपरिटेंडेंट कैदियों से अक्सर कहता था की जेल दीवार इरादतन छोटी बनाई गई है। लेकिन यहां ऐसी कोई जगह नहीं है। जहां से आप जा सके।
सबसे पहले 2 सौ से ज्यादा स्वतंत्रता सेनानियों को जेलर डेविड वेरी और मेजर जेम्स पैटिंसन वाकर की सुरक्षा में यहां लाया गया। उसके बाद 733 क्रांतिकारियों को कराची से लाया गया। भारत और बर्मा से भी यहां सेनानियों सजा के तौर पर लाया गया।
सुदूर द्वीप होने की वजह से क्रांतिकारियों को सजा देने के लिए अनुकूल जगह समझी जाती थी। इनसे जेल का निर्माण भवन निर्माण बंदरगाह का निर्माण आदि काम करवाया जाता था। यहां आने वाले कैदी ब्रिटिश शासकों के घरों का निर्माण भी करते थे।
उन्नीस सौ शताब्दी में स्वतंत्रता संग्राम ने जो जोर पकड़ा तब यहां कैदियों की संख्या भी बढ़ती गई। अगर कुछ लोग कहते हैं कि चरखा चलाने से आजादी मिली है। तो यह जेल एक जीता जागता उदाहरण है।
कि कैसे यातनाएं दी जाती थी स्वतंत्रता सेनानियों को इस देश को आजादी यूं ही नहीं मिली। भारत मां के कितने सपूतों में अपना बलिदान दिया है। शहीदों की शहादत को शेयर जरूर करें।
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