मुंबई दुनिया की सबसे हाइलाइट्स सिटी में से एक है ।वहा एक से एक टैलेंटेड लोग है उसी में से एक ज़ोया नाम की fashion designer थी जिसके डिजाइन किए कपड़े काफी फेमस थे ।
ज़ोया का ये काम उसके लिए सिर्फ काम नहीं था ।ये उसके लिए शौक की तरह था जिसे ज़ोया बहुत मन लगा कर करती थी ।
ज़ोया की एक बेटी थी सुनैना ,वो बचपन से ही अपनी मां ज़ोया के कपड़े डिजाइन करते देखती थी और उसकी भी इच्छा थी कि में भी अपनी मां की तरह fashion designer ही बनूंगी।
सुनैना भी बहुत ही मन लगा कर कपड़े डिजाइन किया करती और अपनी मां को दिखाती तो ज़ोया उसमे कोई न कोई गलती निकालती ।
सुनैना भी उस गलती को सुधरती और अपने कलेक्शन में लगाती । सभी बहुत तारीफ करते और उसके डिजाइन किए हुए कपड़े ज्यादा महंगे बिक्ते।
ज़ोया हमेशा सुनैना के डिजाइन में कोई न कोई कमी निकालती रहती । अब सुनैना को ये अच्छा नहीं लगता था कि मेरी मां हमेशा मेरे डिजाइन में गलतियां ही निकालती रहती है जबकि मेरे डिजाइन उनसे ज्यादा महंगे बिकते है।
अब सुनैना ने अपनी मां को डिजाइन दिखाने बन्द के दिए ।तो ज़ोया ने एक बार पूछा बेटा क्या तुम अब कपड़े डिजाइन नहीं करती।
सुनैना ने कहा करती हूं पर आपको नहीं दिखती क्योंकि आप हमेशा मेरे डिजाइन में कोई न कोई कमी निकालती है ।
जबकि मेरे डिजाइन किए हुए कपड़े आपके डिजाइन से ज्यादा महंगे बिकते है । आपको लगता है कि में आप जैसी fashion designer नहीं बन सकती लेकिन में तो आपसे ज्यादा बेहतर हूं । अब मुझे आपकी सलाह की कोई जरूरत नहीं है।
ज़ोया चुपचाप चली गई और सुनैना अपने डिजाइन किए हुए कपड़े बेचने लगी । धीरे धीरे दाम गिरने लगे और अब सुनैना के डिजाइन की तारीफ भी नहीं होती थी । उसे समझ नहीं आता कि क्या हो रहा है।
एक दिन निराश होकर चुपचाप हॉल में बैठी थी , ज़ोया आई और पूछा क्या हुआ तुम्हारा काम कैसा चल रहा है ।सुनैना ने अपनी मां की गोद पे सर रखकर लेट गई और निराशा वाली आवाज में बोली में ये काम छोड़ रही हूं ।
ज़ोया ने कहा क्यों क्या हुआ ? मेरे डिजाइन पहले बहुत अच्छी रेट में बिकते थे और सब तारीफ भी करते थे। अब ना ही अच्छी रेट में बिकते है और तारीफ भी नहीं होती ।
ज़ोया ने कहा क्योंकि अब तुम अपने डिजाइन से संतुष्ट हो । इसलिए उसमे नया पन कुछ भी आता और लोगो को हमेशा नया चाहिए।
जब में तुम्हारे डिजाइन में कमी निकालती थी तब तुम संतुष्ट नहीं होती और उस कमी को पूरा करने की कोशिश करती । और कुछ नयापन लाती लेकिन अब तुम अपने डिजाइन से खुश हो जाती हो इस वजह से उसमे कुछ भी नया या अलग नहीं दिखता।
ओह अब में समझी इसलिए आप मेरे डिजाइन में गलतियां निकालती रहती थी ताकि में उसे और बेहतर करू ।तो आपने मुझे पहले क्यों नहीं ये बात समझाई ?
ज़ोया- क्योंकि में जानती थी ये तुम खुद समझ जाओगी । ( बस एक सलाह याद रखना कभी अपने काम से saitisfide मत होना ये ही सफलता की कुंजी है)
सुनैना ने अपनी मां कि सलाह को हमेशा याद रखा और फिर से उसके डिजाइन सबकी पसंद बन गए।
अपनी बेटी कि तरक्की को देख कर ज़ोया भी खुश थी । और दोनों ही अच्छे डिजाइनर में गिने जाने लगे।
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