नानी दादी के कुछ घरेलू नुस्खे जाने फफूंद का संक्रमण के बारे में

एक्जिमा,दाद,खाज, और खुजली के उपाय

त्वचा रोग होने पर बीड़ी, सिगरेट, शराब, बीयर, खैनी, चाय कॉफी, भांग, गांजा, या अन्य किसी भी दुसरे नशीले पदार्थों कि सेवन ना करें। बाजरे और ज्वार की रोटी बिल्कुल ना खाएं। शरीर की शुद्धता का खास ख्याल रखें। चर्चा रोग हो जाने पर समय पर सोना, समय पर उठना, रोज नहाना, और धूप की सीधी किरणों से दूर रहना अत्यंत आवश्यक है।

भोजन में अचार, नींबू, मिर्च, टमाटर थैली वस्तुएं, आदि चीजों का सेवन बिलकुल बंद कर देना चाहिए। चर्म रोग में कोई भी खट्टी चीज खाने से रोग तेजी से पुरे शरीर में फेरता है। अगर खाना पचने में परेशानी हो या पेट में गैस जमा होती हो उनका उपचार तुरंत करना चाहिए। और जब ये परेशानी ठीक हो जाएं तब कुछ दिनों तक हल्का भोजन खाना चाहिए। खराब पाचनतंत्र वाले व्यक्ति को चर्म रोग होने की अधिक संभावना होती है।

रीठे का छीलका

Soapnuts or Soapberries used as natural surfactant over white background

रीठे के छिलके के पावडर में शहद मिलाकर चने के बराबर गोलियां बना लें। सुबह एक गोली दही के साथ और शाम को पानी के साथ निगल लें। एक्जिमा, उपदंश, खाज, खुजली पित्त, दाद और चम्बल के लिए पूर्ण लाभदायक है

अलसी का बीज ( तीसि)

दिन में एक दो चम्मच अलसी के बीजों का सेवन करना त्वचा के लिए फायदेमंद होता है बेहतर होगा कि इसका सेवन किसी अन्य आहार के साथ किया जाएं। अलसी के तेल को कभी भी सेंकना नहीं चाहिए।

लहसून

दाद खाज और खुजली की समस्या से छुटकारा पाने के लिए लहसून भी काफी फायदेमंद है। अगर आप भी अपनी दाद, खाज, खुजली की समस्या से राहत पाना चाहते हैं। तो लहसून को छील लें और उसे बिच से काट कर लहसून का रस निकाले और अपनी दाद वाली जगह पर लगाएं। इसे लगाने से दाद से आराम मिल जायेगा।

नीम की पत्तियां

यदि दाद खाज और खुजली से छुटकारा पाना चाहते हैं। तो गर्म पानी से ही नहाए और नहाने से पहले गर्म करते वक्त उस पानी में नीम की पत्तियों को भी उबाल लें और फिर उस पानी को छानकर उससे नहा लें। नीम की पत्तियों के पानी से नहाने शरीर के किटाणु दुर होंगे और दाद की खुजली से आराम मिलेगा।

चिरयता और कुटकी

4 ग्राम चिरायता और 4 ग्राम कुटकी लेकर शीशे या चीनी-मिट्टी के बर्तन में 125 ग्राम पानी डालकर रात उसमे भिगो दें और ऊपर से ढक के रख दें। प्रातंकाल रात को भिगोया हुआ चिरायता और कुटकी का पानी निथार कर कपड़े से छान कर पीले और पीने के बाद 3 से 4 घंटे तक कुछ नहीं खाएं और उसी समय अगले दिन के लिए उसी पात्र में 125 ग्राम पानी डालें। इसी प्रकार 4 दिन तक वहीं चिरायता और कुटकी काम देगा। तत्पश्चात उनको फेंक कर नया चार चार ग्राम चिरायता और कुटकी डालकर भिगोए और चार चार दिन बाद बदते रहे यह पानी लगातार दो से चार हफ्ते पीने से एक्जिमा, फोड़े-फुंसी, आदि चर्म रोग नष्ट होते हैं। मुहांसे निकलना बंद होते है और रक्त साफ होता है।

अनन्तमुल, मुलहठी, सफेद मूसली, गोरखमुण्डी, रक्तचंदन, शनाय,

अनन्तमुल, मुलहठी, सफेद मूसली, गोरखमुण्डी, रक्तचंदन, शनाय और अश्वगंधा 100 100 ग्राम तथा सौंफ, पीपल, इलायची, गुलाब के फूल 50 50 ग्राम सभी कूटकर के एक डब्बे में भरकर रख लें। एक चम्मच 200 ग्राम पानी में धीमी आंच पर पकाएं और जब पानी 50 ग्राम रह जाए। तब उसे छानकर उसके दो भाग करके सुबह और शाम को मिश्री मिलाकर पीएं। यह क्वाथ एक्जिमा, रक्त विकार, उपदंश, सुजाक के उपद्रव, वातरक्त, और कुष्ठ रोग को दूर करता है।

करेले का फल

करेले के फल का रस पीने से शरीर का खून शुध्द होता है। दिन में सुबह के समय बिना कुछ खाए खाली पेट एक ग्राम का चौथा भाग करेले का रस पीने से त्वचा रोग दूर होते हैं। दाद खाज और खुजली जैसे लोग दूर करने के लिए त्वचा पर करेले का रस लगाना चाहिए। त्वचा की किसी भी प्रकार की बिमारी से पीड़ित व्यक्ति को हर रोज रात को सोने से पूर्व एक गिलास हल्के गर्म दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर कर दूध पीना चाहिए।

यह एक कष्टदायक रोग होता है। जो पुरे शरीर की चमडी पर कहीं भी हो सकता है। अनियमित खान-पान, दूषित आहार, शरीर की सफाई ना होने एवं पेट में कृमि के पड़ जाने और लंबे समय तक पेट में रहने के कारण उनका मूल नसों द्वारा का खून में मिलने से तरह तरह के चर्म रोग सहित शारीरिक अन्य बिमारियां पनपने लगती है। जो मानव के लिए अति हानि करक होती है।

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