Shiv ki mahima शिव की महिमा

बंगाल के एक गांव में एक मास्टर जी रहते थे उनका एक छोटा सा परिवार था। माता पिता और बीवी बच्चो के साथ रहते थे। मास्टर जी रोज Shiv जी को एक बेलपत्र चड़ाते थे।

मास्टर जी वैसे तो बहुत ज्यादा पूजा पाठ करने वाले व्यक्ति नही थे वो कहते थे मेरा कर्म ही पूजा है। बच्चो को भी इस तरह की बातें सिखाते थे ।

एक दिन शिवजी एक छोटे बच्चे का रूप धारण करके मास्टर जी के पास आए। मास्टर जी ने बच्चे की बुरी हालत को देखकर वे बोले अरे ये क्या हालत है

तुम्हारी चलो मेरे साथ मास्टर जी बच्चे को अपने साथ घर ले आए उसकी हालत को ठीक किया फिर उसका नाम पूछा बच्चे ने अपना नाम भोला बताया

मास्टर जी ने भोला को खाना खिलाने के बाद कहा भोला चलो में तुम्हें तुम्हारे घर छोड़ दू भोला ने कहा मेरा कोई घर नहीं है।

में आपके साथ ही रहूंगा आपका सारा काम करूंगा। मास्टर जी बोले में तुम्हें नहीं रख सकता। मास्टर जी के लाख मना करने के बावजूद भोला ने एक न मानी आख़िर में उन्हें भोला की बात माननी पड़ी।

और भोला मास्टर के साथ रहने लगा हर जगह उनके साथ जाता। उनका हर काम करता। कभी कभी मास्टर जी को शक होता ये बच्चा है

या कुछ और क्योंकि कभी कभी भोला कुछ ऐसा कर देता जो आम लोगों के बस की बात नहीं है। मास्टर जी जब शिव मंदिर जाते तो भोला भी उनके साथ जाता।

भोला बोला आप क्यों शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ाते हैं हर रोज़। मास्टर जी बोले शिव जी को बेलपत्र बहुत प्रिय है इसलिए । भोला बोला इसके बदले में Shiv जी आपको क्या देते हैं।

तो मास्टर जी बोले मुझे उनसे कुछ नहीं चाहिए बस एक बार उनके दर्शन करना चाहता हूं। भोला बोला क्या वो आपको दर्शन देंगे।

शायद नहीं क्योंकि दुनिया में उनके बहुत से भक्त है। जो मुझसे भी ज्यादा उनकी पुजा करते हैं। में तो बस एक बेलपत्र ही चड़ता हूं।

भोला बोला अगर भगवान आप के सामने आ जाये तो क्या पहचान लोगे। वो तो हर रुप में है हर कोई में है। कैसे समझोगे। मास्टर जी कुछ नहीं बोले उलझन में पड़ गए पूरी रात सोचते रह गए ।

फिर वह बोले कि चलो भोला से पूछता हूं कि वह कैसे पहचानेगा । मास्टर दौड़े दौड़े भोला जहा सोता है वहा गए तो वहा बहुत तेज रोशनी दिखाई दी मास्टर जी आगे बढ़ के देखे

तो वहा Shiv जी का रूप दिखाई दिया मास्टर फूट फूट कर रोने लगे और बोले हे प्रभु आप मेरे साथ ही रह रहे थे और में पहचान नहीं पाया ।

मुझे माफ कर दीजिए मैने आपको नौकर बना कर रखा। तो शिवजी मुस्कुराते हुए बोले तुमने मुझे नौकर नहीं बनाया में तुम्हारी इच्छा जानने के लिए नौकर बनकर आया।

क्योंकि तुमने मुझे कभी अपनी इच्छा नही बताई । वहीं जानने के लिए में तुम्हारे पास आया।अब तुम्हारी इच्छा पूरी हो गई है ।में अब वापस जा रहा हूं ।

मास्टर दौड़कर Shiv के पैरो में गिर पड़े और बोले नही प्रभु मुझे छोड़ कर मत जाइए । आपके दर्शन के बाद में आपके बगैर नहीं जी सकता।

Shiv जी बोले तुमने मेरा अस्ली रुप देख लिया है । तुम्हारी इच्छा पूरी हो चुकी है। इसलिए अब मै वापस जाऊंगा । मास्टर के बहुत गिड़गिड़ाने पर Shivजी रहने को मान गए।

शिवजी ने कहा मैं तुम्हारे साथ रहूंगा लेकीन तुम यह बात किसी को नहीं बताओगे की में कौन हूं। जिस दिन तुमने मेरी सच्चाई किसी को बताई तो में तुम्हें छोड़ कर चला जाउंगा।

शिवजी मास्टर जी के साथ रहने लगे । एक दिन किसी काम से मास्टर जी बाहर गए हुए थे । भोला घर पर ही रह गए।

मास्टर की पत्नी ने भोला को एक काम करने को कहा।भोला कर नहीं पाया तो मास्टर कि पत्नी को बहुत गुस्सा आया उसने डंडे से भोला की पीटाई करने लगी।

मास्टर घर पहुंच गए और भोला को मार खाते देख वो अपनी पत्नी से बोल पड़े । इन्हें मत मारो ये शिवजी है। उसी समय शिवजी वहा से गायब हो गए ।

मास्टर जी शिव जी को दुंडते दूंडते यहां वहा भटकते रहे । शिवजी को मास्टर की हालत देखी न गई । Shivजी मास्टर के सामने प्रकट हुए और बोले में सदैव तुम्हारे साथ हु ।

तुम्हारे मन में हूं मुझे याहा वहा मत धुंडो । अपना और अपने परिवार का ख्याल रखो । ओम नमः शिवाय।

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