भारत में Snake -पूजा की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है और साँपों पर पूजा करने की प्रथा विधि-विधान से है। भारत में जहरीले जीव को देवतुल्य भी माना जाता है और इसे नाग देव कहा जाता है।
पौराणिक सभ्यता में नागों का महत्व इस तथ्य से पता चलता है कि भगवान शंकर को नागों की माला आभूषणों की तरह सांप, पहने देखा जाता है, शिवपुत्र गणेश को सर्प यज्ञोपवीत के रूप में दिखाया जाता है जबकि भगवान विष्णु शेष नाग पर विश्राम करते हैं। देखा जाता है।
यहां तक कि दसावतार अवतार रूप में Snake भी होते हैं। श्री रामचंद्र के रूप में विष्णु के अवतार पर, वह शेषनाग के रूप में मौजूद हैं, यानी छोटे भाई और शेषनाग के रूप में लक्ष्मण बनकर, जबकि श्री नाग श्रीकृष्णावतार के समय अपने बड़े भाई बलरामजी के रूप में प्रकट हुए।
चहलिये आप लोगी को एक अनोखी कहानी सुनाते है।
एक बहुत ही खूबसूरत गाँव में एक किसान रहता था, उसके खेत में एक नाग और नागीन रहते थे। श्रावणमास आया, श्रावण मास सुंदर और मनमोहक मौसम होता है
जिसके कारण प्रकृति अपने चारों तरफ हरियाली का एक सौन्दर्य बिखेरने लगती है। जिसका आंनद सिर्फ मानव जीव नही बल्कि ब्रममंड के सारे जीव जन्तु खुशी का आनंद उठाते है।
नागपंचमी का दिन था किसान रोज की तरह अपने हल लेकर खेत में गया। सिचाई किया और घर वापस चला आया आपन हाल और बैल लेकर, अचानक उसका ध्यान हाल पर गया , उसने देखा खून से लाल लथ पथ हुआ है, किसान ये देख कर बहुत दुखी हुआ
उसे समझ गया कि कोई जीव मेरे हाल से जोखिम हो गया है, वह दौड़ कर खेत में गया तब तक रात हो चुका था, उसने एक हाथ मे लालटेन और दूसरे में औषधि ले कर खेत के पतली बांध पर दौड़ते हुए पहुचा गया।
वह जाकर देखा एक सर्प उसके हाल से बहुत जख्मी हो गया है, उसने सर्प को उठाया और जो औषधि ले कर गया था उसके अनुसार उसने लेप लगाया और Snake को आपने घर ले आया, कुछ दिन के बाद सर्प स्वाथ हो गया, किसान उसको वापिस वासी खेत के तरफ छोड़ आया।
हमेशा की तरह किसान आपने खेत में फसल की देख तेख करने कुछ दिन बाद गया, तभी अचानक उसका पैर एक एक जहरीला सर्प पर पड़ गया, वह तो एक नागिन थी जो उस नाग की हमसफ़र की तरह रहती थी।
Snake अगर किसी चेज़ के दबाव में पड़ता तो उसका मुंह खुल जाता है और काट लेता है।
किसान को उस नागिन ने तो डंस लिया जिसके कारण वो खेत मे वही गिर गया, वही कुछ दूर नाग भी भ्रमण कर रहा था, नगीन सरपट भागते हुए नाग के पास पहुची और आपने भाषा और इसरा से नाग को सब कुछ बता दी। सर्प को बहुत दुख हुआ ये सुन कर की जिस आदमी ने मुझे जीवन दान दिया उसकी ही तुमने डंस दिया।
उस नाग ने सरपट भागते हुए उस किसान के पास आया और सारा विष वापिस निकल दिया। कुछ समय तक नाग और नागिन वही बैठे रहे इतने में सारे गॉव वालो को भी मालूम पड़ गया।
और वो सब वह जमा हो गए, उन सब ने देखा किसान वह सोया पड़ा है और दो नाग और नागीन वहां निर्त्य कर रहे थे। सबलोगों ने नाग नागिन को निर्त्या करते हुये मार डाला ।
गांव वालों का आवाज़ सुनकर किसान को होश आया , उसने देखा उसके पास में दो सर्पो की हत्या हुआ है। ये देख कर गांव वालों को बहुत भला बुरा कहा। उसने सारे बातें बताई।
ये सुनकर सबकी सिर शर्म के मारे झुक गयी, इस पाप का पश्चताप के लिए उन लोगी ने कसम खायी की किसी भी जीव को नही मारेंगे और वाह उनकी याद में उनका एक मंदिर भी बनवा दिया जिसके कारण आनेवाला पीढ़िया भी उस कहानी से कुछ सीखे।
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