बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री उम्मीदवार Tejashwi Yadav कहां जा रहा है कि तेजस्वी ही लालू की राजनीतिक विरासत वारिस होंगे। लालू की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल के नेता और कार्यकर्ता भी अभी से ही तेजस्वी में अपना नेता देखना शुरू कर चुके हैं।
बिहार के राजनीति में तेजस्वी एक जाना पहचाना बड़ा नाम हो चुका हैं।
तेजस्वी को महज 26 साल की उम्र में जहां बिहार का उपमुख्यमंत्री बनने का गौरव प्राप्त हुआ। तो वहीं तेजस्वी को देश के सबसे कम उम्र का विरोधी दल का नेता कहलने का भी मौका मिल गया।
9 नवंबर 1989 को बिहार की राजधानी पटना में जन्मे तेजस्वी के पिता लालू प्रसाद यादव और माॅं राबड़ी देवी बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।
राजनीति में आने से पहले Tejashwi Yadav क्रिकेटर रह चुके हैं। तेजस्वी को रणजी ट्रॉफी में बतौर बल्लेबाज खेल चुके हैं। 2008 से लेकर 2012 तक तेजस्वी आईपीएल के दिल्ली डेयरडेविल्स टीम का हिस्सा भी रह चुके हैं।
हालांकि आईपीएल में बहुत उन्हें बहुत ज्यादा खेलने का मौका नहीं मिला। यूं तो तेजस्वी की सियासी पारी 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव से शुरू हुई।
जब उन्होंने अपनी माॅं राबड़ी देवी की परंपरागत सीट राघवपुर से विधानसभा चुनाव लडा था। बड़े अदब से जीत दर्ज की इसके पहले तेजस्वी ने 2010 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में भी अपनी पार्टी के लिए प्रचार किया था।
बिहार चुनाव में सबसे बड़े दल के तौर पर उभरने के बावजूद भी राजद जेदयू नेता सीएम नीतीश कुमार को आगे किया।
नीतीश कुमार सीएम तो Tejashwi Yadav डिप्टी सीएम बने थे। बतौर डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के पास पथ निर्माण और भवन निर्माण जैसे विभाग थे।
बतौर मंत्री तेजस्वी इस पद पर सिर्फ 20 महीने तक ही रह सके। लेकिन इस संक्षिप्त कार्यकाल में भी उन्होंने खूब पसीना बहाया और विकास की नई इबादत लिखी।
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तेजस्वी यादव के ही मेहनत का नतीजा है। तो छपरा शहर को जाम से मुक्ति दिलाने वाले राज्य के पहले डबल डेकर फ्लाईओवर की परिकल्पना भी मंत्री तेजस्वी यादव की ही थी।
सहयोगी जनता दल यूनाइटेड के साथ उपजे विवाद के बाद गठबंधन टूट गया। नीतीश कुमार भाजपा के साथ जा कर सीएम बने रहे। इधर तेजस्वी यादव बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी पर बैठ गए।
बतौर नेता विरोधी दल तेजस्वी यादव के पहले भाषण ने खूब सुर्खियां बटोरी जब विधानसभा में उन्होंने बेहद शालीनता से नीतीश कुमार पर चुन-चुन कर हमला बोला तेजस्वी यादव एक जबरदस्त वक्ता है और हाजिर जवाब नेता भी।
क्रिकेट की दुनिया से तेजस्वी का नाता स्कूल के वक्त से ही जुड़ गया था। जिस वजह से उनकी पढ़ाई बीच में ही छूट गई और वे अपने स्कूल की पढ़ाई पूरी ना कर सके।
इस वजह से तेजस्वी के विरोधी उनकी आलोचना भी करते हैं। पर जब तेजस्वी अंग्रेजी में धुआंधार भाषण या इंटरव्यू देते हैं। तो सब के पसीने छुड़ा देता है।
तेजस्वी टेक्नो सेवी भी है और सोशल मीडिया पर भी अच्छे खासे सक्रिय रहते हैं सोशल मीडिया पर तेजस्वी यादव की यह सक्रियता कभी-कभी उनके लिए मुश्किल का सबक भी बन जाती है।
कुंवारे तेजस्वी को एक बार उनके व्हाट्सएप नंबर पर 4400 “I love you” और शादी के प्रस्ताव भी आए हैं। पर तेजस्वी ने बहुत ही प्यार से कहा शादी तो वह अरेंज ही करेंगे।
तेजस्वी यादव पर रेलवे के होटलों से जुड़े ठेके देने में धांधली के मामले भी दर्ज किए गए हैं। इस मामले में उनके पिता लालू प्रसाद यादव के साथ उन्हें भी उपयुक्त बनाया गया है। हालांकि यह मामले तब के है।
जब तेजस्वी बालिक भी नहीं थे। पर फिर भी तेजस्वी इस मुद्दे पर कहते हैं हमें और हमारे परिवार को राजनीतिक कारणों से शुरू से निशाना बनाया जाता रहा है। लेकिन हम इससे घबराने वाले नहीं हैं।
आप तेजस्वी यादव वंशीवदी राजनीति होने का आरोप लगा सकत हैं। पर यह हकीकत है कि राजद के समर्थक और लालू प्रसाद यादव के आधार वोटर तेजस्वी यादव में ही बिहार का अगला मुख्यमंत्री देखते हैं।
मिलनसार स्वभाव के तेजस्वी यादव भी दल के समर्थकों से अच्छा खासा लगाव रखते हैं और बेहद आदमीयाता से मिलते हैं।
सियासत के मंजे खिलाड़ी लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी जिस प्रकार से अपनी सक्रियता बनाए हुए हैं और राजनीति की बारीकियों को समझने लगे हैं। उससे उनके सुनहरे भविष्य का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
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