मनुष्य विश्वास से बनता है, आप जैसा विश्वास रखते है वैसे बन जाते हैं।
जो आप सोचते हो और जिन बातों पर आप विश्वास रखते है! – आपके साथ वैसा ही होता है और आप वैसे ही बन जाते है! अगर विश्वास करते हो कि आप एक खुशमिजाज व्यक्ति हो, तो आप खुश रहेंगे और अगर नकारात्मक विचार लाएंगे, तो आप दुखी हो जाओगे ! अगर आप विश्वास करोगो कि आज का दिन अच्छा है, तो आपका दिन अच्छा हो जाएगा!
कर्म करो, फल की चिंता नहीं!
भगवद गीता की यह पंक्ति हम सभी के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है! हम हमेशा पैसा, अच्छा घर, अच्छी गाड़ी और सुरक्षित भविष्य की इच्छा लिए ही काम करते है! लेकिन ज्यादातर लोग जिंदगी को एक रेस समझकर इसलिए दौड़ रहे है! कि उन्हें जल्द से जल्द मंजिल मिल जाए! और जब मंजिल मिलती है, तब भी उन्हें ख़ुशी नहीं मिलती और वे अगली मंजिल के लिए भागना शुरू कर देते है| वे कभी समझ ही नहीं पाते की
संदेह (Doubt) के साथ कभी भी ख़ुशी नहीं मिल सकती! – न इस लोक में न परलोक में !
संशय (Doubt) के साथ हमारे दिमाग पर एक अस्पष्ट विचारो का पर्दा आ जाता है| संदेह हमे डरपोक और अस्थिर बना देता है! संदेह के कारण व्यक्ति, कभी भी साहस भरे निर्णय नहीं ले पाता! और वह कड़ी मेहनत करने के बावजूद, हारे हुए व्यक्ति की तरह जिंदगी जीता हैं!
मनुष्य अपने विचारो से ऊंचाईयां भी छू सकता है और खुद को गिरा भी सकता है! – क्योंकि हर व्यक्ति खुद का मित्र भी होता है और शत्रु भी !
आप खुद के सबसे अच्छे मित्र है! आपकी हर परेशानी का हल आप ही के पास है किसी और किसी के पास नहीं! अगर आप अपनी परेशानी के लिए दस मित्रो से सलाह लेने जायेंगे! तो आपको मदद नहीं मिल पायेगी! क्योंकि उनके पास दस अलग-अलग सुझाव होंगे! आपको खुद से जुड़ना होगा और स्वंय पर विश्वास रखना होगा!
आत्मा न जन्म लेती है और न मरती है!
डर के साथ हम कुछ नहीं पा सकते| भय और चिंता दो शत्रु है! जो हमारे सुख – शांति की बाधा है! इसलिए हमे पूर्ण रूप से अपने मन से इन्हें निकालने का प्रयास करना चाहिए!