बेशकीमती पत्थर
बेशकीमती पत्थर
एक लड़का वरुण उसकी पढ़ाई पूरी हो चुकी थी! और वो अपनी लाइफ में कुछ बनना चाहता था, उसे लिखना बहुत पसंद था और वो बहुत अच्छी- अच्छी पोएम लिखता था! और वो एक पोएट बनना चाहता था।
लेकिन उसके इस गुण को कोई नहीं समझता था! उसके घरवाले भी उसे ताना मारते रहते! और कहते इतना पड़ाके के भी क्या फायदा जवान लड़का घर पे बैठा है!
बड़े भाई की कमाई पर कितने दिन एश करोगे कि काम भी करोगे बस कागज काला करते रहोगे!
दोस्तों ने उसकी क्या मदद की?
रोज – रोज के ताने सुनकर वरुण के मन में गुस्सा पनपने लगा! तो अपने दोस्त के पास गया और अपनी हालत बताई! उसका दोस्त समझ गया इन सब की वजह से वरुण पे क्या असर पड़ रहा है! तो उसने एक पत्थर उठाया और वरुण को दिया! और कहा दोस्त मेरा एक काम करोगे ये एक बेशकीमती पत्थर है!
तुम्हे इसे अपने साथ एक दिन के लिए रखो! और जहां जहां जाओगे इस पत्थर को अपने साथ ले जाना और जिन – जिन लोगो से मिलोगे उनसे इस पत्थर की कीमत पूछना!
वरुण ने जब उसके बारे में पूछा तो लोगों ने क्या कहा?
वरुण घर के लिए सब्जी खरीद रहा था! और सब्जी वाले से इस पत्थर की कीमत पूछी तो सब्जी वाले ने कहा तुम दो किलो टमाटर के बदले ये पत्थर मुझे दे दो , इससे सब्जी तोलने में आसानी होगी!
फिर वो एक मूर्तिकार के पास गया तो मूर्तिकार ने कहा तुम मुझे ये पत्थर एक हजार रूपए में दे दो में इस बेशकीमती पत्थर से अपनी मूर्तियो को तराशुंगा वरुण उस पत्थर को लेकर अब एक रत्नों के विशेषज्ञ के पास गया!
विशेषज्ञ ने पत्थर को तराशा तो कहा ये कोई मामूली पत्थर नहीं है! ये तो बेशकीमती हीरा है! जिसे अभी तराशा नहीं गया है करोड़ों रुपए भी इस बेशकीमती पत्थर के लिए कम है!
हर जगह से पत्थर की कीमत लगाकर वरुण अपने दोस्त के पास आया और कहा में समझ गया कि तुम मुझे क्या समझाना चाहते थे!
वरुण समझ चुका था कि अब उसे क्या करना है! उसने अपनी पोएम को किसी अच्छे पब्लिशर के पास ले गया! पब्लिशर को वरुण की पोएम अच्छी लगी और बस वरुण को अपनी पहचान मिल गई!
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिली?
हमे कभी भी हार नहीं माननी चाहिए! ओरो की बातो से खुदका हौसला नहीं तोड़ना चाहिए! , हम उस पत्थर की तरह है जिसे बेशकीमती बनाने के लिए उसे एक विशेषज्ञ की जरूरत है ।