A Story of Old Father -एक बुढा पिता जो अपने जीवन में उसने अपनी पूरी कमाई अपने बेटे को पढ़ाने में लगा दी ।
बुढा पिता ने कभी अपने बारे में नहीं सोचा , अपने बुढ़ापे के लिए कुछ भी बचाकर नहीं रखा ।
बेटे की शादी हुई और बहू आई कुछ साल बाद उनको एक बेटा भी हुए। अब बुढा पिता से काम नहीं हो पा रहा था, हर समय वो अपने छोटे से नातू के साथ खेलते थे।
एक तरह से काफी खुशहाल परिवार था ,कोई परेशानी भी नहीं थी। अब पिता जी और भी ज्यादा बूढ़े हो गए थे उन्हें चलने में भी परेशानी होती ।
लकड़ी का सहारा लेना पड़ता आंखों से भी कम नज़र आने के कारण कभी – कभी अपने आप को चोट भी पहुंचते।
खाना भी खाते तो कभी अपने कपड़ों पर तो कभी नीचे गिरने लगता।
पिता को इस तरह खाते देख बेटा और बहू को घिन्न आने लगी, एक दिन बेटे के ऑफिस के कुछ दोस्त आय सब एक साथ बैठकर टेबल पर ही खाना खा रहे थे और उन्ही के बीच बूढ़े पिता भी बैठकर खा रहे थे ।
उनके हांथ काफी हिलते थे और खाना इधर उधर गिर जाता ,ये सब देख बेटे के दोस्त कुछ उल्टा सीधा अपने दोस्त से कहने लगे ।
दोस्तो के जाने के बाद बेटे और बहू ने अपने बूढ़े पिता को खरी खोटी सुनाने लगे ।
अपने मां ,बाप की सारी बाते उनका बेटा सुन रहा था। बेटे बहू ने कहा अब पिता जी को नीचे बैठा कर खाना देते है उन्हें टेबल पर बैठ कर खाना खाने नहीं आता।
अब बेटा बहू और उनका बेटा एक साथ टेबल पर बैठ कर खाते और बूढ़े पिता को एक कोने में नीचे जमीन पर खाना दिया।
ये सब उनका बेटा देख रहा था , उसकी मां ने कहा तुम दादा जी को क्या देख रहे हो अपना खाना खाओ ।
बेटे ने कहा में सिख रहा हूं , जब में बड़ा हो जाऊंगा और आप दोनों बूढ़े हो जाएंगे तो में भी आप लोगों को उसी कोने में बैठा कर खाना दिया करूंगा।
बेटे की बात सुन दोनों सन्न रह गए और बेटे और बहू दोनों दौड़कर अपने पिता को जमीन से उठाया और टेबल पर बैठा कर माफी मांगी।
बूढ़े पिता की आंखे भर आई , बच्चो के सर पर हाथ फेरते हुए कहा कोई बात नहीं मेरे बच्चो ।
समय रहते तुम दोनों संभल गए मेरे लिए यही बहुत ही गर्व की बात है।
अपने बेटे की बात को सुन उन दोनों को समझ आया कि, आज में जैसा करूंगा मेरे साथ भी वैसा ही होगा।
बुढ़ापा किसी एक व्यक्ति के लिए नहीं है, उस दौर से सभी को गुजरना है । ( इस लिए जैसी करनी वैसी भरनी) ।
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