Rolls-Royce दुनिया भर में अपनी मशहूर कारों के लिए फेमस रहा है। इस कंपनी की स्थापना 1904 में चार्ल्स और हेंड्री रॉयस ने की थी।
इन दोनों ने एक साथ मिलकर कारों का निर्माण और बिक्री शुरू की जिसके बाद कंपनी का नाम Rolls-Royce पड़ा।
सन 1920 में दुनिया के नक्शे पर ब्रिटिश का परचम बुलंद था। और साथ ही ब्रिटेन की सबसे मशहूर कार निर्माता कंपनी Rolls-Royce काफी अच्छा खासा रुतबा हुआ करता था।
लेकिन एक भारतीय राजा के शान में गुस्ताखी उस वक्त की दुनिया के सबसे बड़ी कार कंपनी को भारी पड़ी।
जिसके बदले में ना सिर्फ इस कंपनी की किरकिरी हुई बल्कि उन्हें लिखित में माफी भी मांगनी पड़ी।
यह वक्त था 1920 का जब इंग्लैंड के सड़कों पर अलवर के महाराजा जयसिंह प्रभाकर घूम रहे थे। बदन पर अंग्रेजी लिबास था
रंगत भारतीय की ऐसे ही घूमते हुए उनकी नजर Rolls-Royce के शोरूम पर पड़ी।
उत्सुकतावश वो शोरूम में दाखिल हो गए। और वहां पर मौजूद गाड़ियों के फीचर्स और कीमत जानने के लिए सेल्समैन से बात करने लगे।
साधारण वेशभूषा और एक भारतीय चेहरे को देखकर उस सेल्समैन ने राजा को ऊपर से नीचे तक देखा और उन्हें शोरूम से बाहर निकाल दिया। शायद उस वक्त सेल्समैन के सर पर ब्रिटेनी हुकूमत का नशा रहा होगा।
जो एक भारतीय चेहरे के पीछे छुपे महाराज को ना पहचान सका। शोरूम से बाहर निकलने के बाद जयसिंह सीधे होटल पहुंचे।
अपने नौकरों से कहा Rolls-Royce के शोरूम को तत्काल इस बात की सूचना दी जाए। कि अलवर के महाराजा जय सिंह शोरूम पर आ रहे हैं।
महाराजा की खबर शोरूम पर पहुंचते ही वाहा पर अफरा तफरी मच गई और तत्काल आओ भगत के लिए रेड कारपेट बिछा दिया गया।
दिए गए समय के अनुसार जय सिंह अपने शाही लिबास और जेव रातो को पहने हुए शोरूम पर पहुंचे।
बेशक उनकी मुलाकात उस सेल्समैन से भी हुई थी। लेकिन बस उन्होंने शोरूम में मौजूद कारों की पूछताछ की उस वक्त शोरूम में सिर्फ 6 कारें मौजूद थी। जय सिंह ने सभी 6 कार तत्काल खरीद ली।
उनकी कीमत नगद और जेवरात देकर चुकाई। जयसिंह ने कारों की कीमत के साथ साथ उन की डिलीवरी चार्जेस का बखूबी भुगतान किया। कारों को खरीदने के बाद महाराजा जयसिंह वापस अपने वतन लौट चुके थे।
Rolls-Royce की सभी 6 कारें कुछ दिनों बाद भारत पहुंची और उन्हें महाराज के महल में लाया गया। उस दौर में Rolls-Royce की कारें शाही शान की पहचान हुआ करती थी।
लेकिन जयसिंह के जहन में अपने बेइजती का घाव ताजा था।
उन्होंने उन सभी कारों को शहर का कचरा साफ करने के लिए मुंशिपालटी के हवाले कर दिया और हर रोज यह कारें शहर का कचरा उठाने लगी।
जब Rolls-Royce की कारों के आगे और पीछे झाडू बांधकर शहर की सड़कों पर उतारा गया। तो यह खबर किसी जंगल में लगी आग की तरह फैल गई। बेशक इसमें वक्त लगा होगा।
लेकिन इसकी तपिश ब्रिटेन तक भी पहुंची। Rolls-Royce की कारें जिनकी छवि उस वक्त की सबसे शाही कारों में से थी। उससे भारत में एक राजा शहर के सड़कें साफ करवा रहा था।
इस खबर से रोल्स रॉयस की छवि भी धूमिल हो गई और बाजार में भी उसे तगड़ा झटका लगा। साथ ही साथ शेयर भी गिर चुके थे। जिसके बाद कंपनी ने राजा को एक खत लिख कर उनके सेल्समैन द्वारा किए गए बर्ताव की माफी मांगी।
उन्हें 6 और रोल्स रॉयस कार मुफ्त में देने की बात की कही राजा जयसिंह ने रोल्स रॉयस के माफी नामे को मान लिया और मुंशिपालटी आदेश दिया कि अब वो कारों से कचरा ना उठाएं
इस तरह राजा जयसिंह बड़े ही सूझबूझ से ब्रिटेन की सबसे बड़ी कार कंपनी Rolls-Royce का गुरूर तोड़ दिया।
भारतीय राजाओं के शौक और रुतबे के आगे कोई कुछ नहीं महाराजा जयसिंह ने अपनी बेइज्जती का बदला कुछ इस प्रकार लिया के Rolls-Royce को घुटनों पर ला खड़ा किया।
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