क्या आप नहीं जानना चाहेंगे, की वह कौन से महान क्रांतिकारी थे, जिनसे अंग्रेजों कि रूह कांप उठती थी!

Chandrashekhar azad

एक ऐसे महान क्रांतिकारी जिन्होंने एक एक अच्छे नायक केतौर पर हमारे देश की रक्षा की और हमारे देश के लिए ही शहीद हो गए! वैसे थे महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद!

चंद्रशेखर आजाद!

जन्म

23 जुलाई, 1906 बदरका,उन्नाव उत्तर प्रदेश

मृत्यु

27 फ़रवरी, 1931 इलाहाबाद उत्तर प्रदेश

राष्ट्रीयता

भारतीय

प्रसिद्धि कारण

एक महान स्वतंत्रता सेनानी

शहीद चन्द्रशेखर आजाद की कहानी जब कोई भी पढ़ता है तो उसके खून के अंदर एक अलग सी शक्ति जाग उठती है! जो इस देश भारत की शान और देशभक्त की जान देती है!

आज हम जिस भारत में आजाद जी रहे हैं! वह कई देशभक्तों की देशभक्ति और जान की कुर्बानी से सजी हुई है! उन्हीं में से एक थे महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जिन्होंने अपने देश को आजाद करने के लिए अपने आप को ही अंग्रेज के हवाले करने से पहले ही खुद को गोलीमार शहीद होगा! भारत आज जहां अंग्रेज भ्रष्टाचारियों से भरा हुआ नजर आता था!वहीं एक समय ऐसा भी था जब देश का बच्चा-बच्चा देशभक्ति के गाने गाता था! भारत में ऐसे तो काफी देशभक्त थे! जिन्होंने हमारे देश के लिए छोटी सी उम्र में ही अतुलनीय त्याग और बलिदान देकर अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में में अंकित करवाया! इन्हीं महान देशभक्तों में भारत में से एक थे चन्द्रशेखर आजाद!

चंद्रशेखर आजाद का जन्म और उनका परिवार!Chandrashekhar azad

वीर चन्द्रशेखर आजाद का जन्म 23 जुलाई, 1906 को उत्तर प्रदेश के जिला उन्नाव के बदरका नामक गाँव में हुआ था! उनके पिता ईमानदार और स्वाभिमानी प्रवृति के पंडित सीताराम तिवारी थे! उनकी माता जी का नाम श्रीमती जगरानी देवी था!

चंद्रशेखर आजाद का अपने देश के लिए संघर्ष!

बचपन से ही उन्हें देश से बहुत प्यार था!. सन 1920-21 वर्षों में वे गाँधीजी के असहयोग आंदोलन से जुड़े*! वे गिरफ्तार भी हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए! जहां उन्होंने अपना नाम ‘आजाद* पिता का नाम ‘स्वतंत्रता* और ‘जेल* को अपना निवास बताया! उन्हें 15 कोड़ों की सजा दी गई. हर कोड़े के वार के साथ उन्होंने, ‘वन्दे मातरम्‌’ और ‘महात्मा गाँधी की जय’ का स्वर बुलन्द किया! इसके बाद वे सार्वजनिक रूप से आजाद कहलाए!

सन् 1922 में गांधीजी द्वारा असहयोग आन्दोलन को अचानक बन्द कर देने के कारण उनकी विचारधारा में बदलाव आया और वे क्रान्तिकारी गतिविधियों से जुड़ कर हिन्दुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के सक्रिय सदस्य बन गये! [इस संस्था के माध्यम से उन्होंने राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में पहले 9 अगस्त, 1925 को काकोरी काण्ड किया और फरार हो गय]! बाद में एक–एक करके सभी क्रान्तिकारी पकड़े गए! पर चन्द्रशेखर आज़ाद कभी भी पुलिस के हाथ में नहीं आए!

तब अंत में क्या हुआ! Chandrashekhar azad

27 फ़रवरी, 1931 का वह दिन भी आया जब इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में देश के सबसे बड़े क्रांतिकारी को मार दिया गया! 27 फ़रवरी, 1931 के दिन चन्द्रशेखर आज़ाद अपने साथी सुखदेव राज के साथ बैठकर विचार–विमर्श कर रहे थे! कि तभी वहां अंग्रेजों ने उन्हें घेर लिया! चन्द्रशेखर आजाद ने सुखदेव को तो भगा दिया! पर खुद अंग्रेजों का अकेले ही सामना करते रहे! अंत में जब अंग्रेजों की एक गोली उनकी जांघ में लगी! तो अपनी बंदूक में बची एक गोली को उन्होंने खुद ही अपने सिर में उतार ली और अंग्रेजों के हाथों मरने की बजाय खुद ही आत्महत्या कर ली! ↑कहते हैं मौत के बाद अंग्रेजी अफसर और पुलिसवाले चन्द्रशेखर आजाद की लाश के पास जाने से भी डर रहे थे↑!

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