एक छोटा सा परिवार था जिसमें एक सास बहू और उसका पति रहते थे।
सांस (Mother in law) का नाम तारा देवी था और बहू का नाम सुजाता देवी दोनों में कभी नहीं बनती।
दोनों में हमेशा अनबन होती दोनों एक दूसरे से बिल्कुल अलग-अलग विचारो वाली थी।
दोनों के झगड़े के कारण से बेटे को समझ नहीं आता कि वो क्या करें। मां की तरफ से बोले तो बीवी नाराज हो जाय और बीवी की तरफ से बोले तो मां नाराज हो जाय।
बेटे का नाम वरुण था। वरुण एक दिन अपने ससुर से मिलने गया जो एक डॉक्टर थे।
वरुण ने अपने ससुर से अपनी समस्या बताई तो ससुर ने एक दवा कि बोतल दी और वरुण से कहा तुम जाकर ये दावा अपनी मां और अपनी बीवी दोनों को आधा-आधा देना और कहना ये जहर है।
मां से कहना ये जहर है मां तुम ये जहर सुजाता को खाने में थोड़ा-थोड़ा देना और उससे बहुत प्यार से बात करना।
अगर प्यार से नहीं बोलोगी तो जहर का असर नहीं होगा और बीवी से भी यही बात कही दोनों ने वरुण कि बात मानी।
अब दोनों ने वरुण के बताए अनुसार किया और दोनों एक दूसरे को जहर के नाम पर दवा देते रहती थी।
एक दूसरे से बहुत प्यार से बात करती जिसके कारण दोनों में अब कभी भी झगड़ा नहीं होता।
दोनों में अनबन भी नहीं होती, दोनों जानती थी। कि में अपनी सांस (Mother in law) बहू को जहर दे रही हूं और वो मुझसे कितना प्यार से बात कर रही है।
दोनों को एक दूसरे पर दया आने लगी। अब दोनों एक दूसरे से मां बेटी कि तरह रहने लगी।
एक के बाद एक दोनों वरुण के पास गई और बोली जहर का तोड़ बताओ।
वरुण ने पूछा क्यों जहर का तोड़ क्या करोगी। दोनों ने कहा अब हमारे बीच कोई परेशानी नहीं है।
सास ने कहा सुजाता जितना ख्याल रखती है कोई और नहीं रख पाएगी में अब उसे जहर नहीं देना चाहती।
बहू ने भी यही बात कही वरुण ने दोनों को बुलाया और कहा मैने कोई जहर नहीं दिया था।
दोनों को एक दूसरे की कदर समझाने के लिए मेंने ऐसा किया मैने कोई जहर नहीं दिया था वो तो हाजमा ठीक करने की दवा थी।
ये बात सुन सास और बहू एक दूसरे को देख कर हसने लगी, अब दोनों में कभी भी झगड़ा नहीं होता।
वरुण और उसके ससुर कि होशियारी की वजह से इस सास बहू के झगड़े से निजात मिली।
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