क्या आप इस महान स्वतंत्रता सेनानी को जानते हैं ?

Pir ali khan
Pir ali khan

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पीर अली खान के बारे में!

◾पीर अली खान एक सत्यवान स्वतंत्रता सेनानी थे! जिनका सिर्फ एक ही मकसद था। अंग्रेजों को देश से भगाना ‌!

जन्म -1820 मुहम्मदपुर गांव (आजमगन)

शिक्षा – पटना में ( उर्दू , अरबी और फ़ारसी भाषा में महारत हासिल थी !)

नारा – जब तक हमारे शरीर में खून कि एक भी बूंद रहेगी , हम अंग्रेजों के खिलाफ बगावत और उनका विरोध करते रहेंगे”!

मृत्यु -7 जुलाई 1857

◾पीर अली खान अपने घर से युवा अवस्था में ही भाग निकले थे! उसके बाद पटना में एक जमीन्दार जिसका नाम नवाब मीर अब्दुल्लाह था! उन्होंने पीर अली को एक बाप बनकर बिल्कुल अपने बेटे की तरह पाला और उनकी अच्छी परवरिश की! पीर अली खान का एक ही मकसद था कि हिंदुस्तान को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद करवाना! उनका मानना था कि गुलामी की जिंदगी से कई बेहतर है,आजादी की मौत! पीर अली खान का दिल्ली तथा भारत में कई स्थानों पर स्वतंत्रता सेनानियों से बहुत अच्छा संपर्क था! उन्होंने हिन्दुस्तान के कई स्थानों में क्रांति की भावना पैदा की और उनका एक नारा भी था! ▪️▪️‘ जब तक हमारे शरीर में खून कि एक भी बूंद रहेगी , हम अंग्रेजों के खिलाफ बगावत और उनका विरोध करते रहेंगे! Pir ali khan

अंग्रेजो के खिलाफ लड़ाई

◾3 जुलाई 1857 ई० को पीर अली खान ने अपने क्रांतिकारी साथियों के साथ मिलकर प्रशासनिक भवन में अंग्रेजो के खिलाफ जोरदार नारेबाजी का प्रदर्शन किया! यह वही जगह थी जहाँ से पूर राज्य पर नजर रखी जाती थी! 5 जुलाई, 1857 को पीर अली खान और उनके करीब चौदह साथियों को विद्रोही प्रदर्शन करने के अपराध में गिरफ्तार कर लिया गया! उस वक्त पटना के कमिश्नर विलियम टेलर ने पीर अली खान को कहा “तुम्हारी जान बख्श दी जाएगी अगर तुम अपने लीडर और अपने साथियों का नाम हमें बता दो ‌!

” पीर अली खान ने कमिश्नर को करारा जवाब देते हुए कहा कि “हमारी जिन्दगी में ऐसे कई मौके आते है! जब हमें अपनी जान बचानी होती है! लेकिन जिंदगी में ऐसे भी कई मौके मिलते हैं! उनका कहना था कि तुम हमें मार तो सकते हो लेकिन हमारे आदर्शों और आजादी के जुनून को मिटा नहीं सकते! मैं तो खैर मर जाऊंगा, लेकिन मेरे मरने पर लाखो ऐसे बहादुर का जन्म होगा! जो तुम्हारे जुल्मों-सितम को खत्म कर देंगे ‌!

◾आखिरकार वह दुखद दिन आ ही गया! जिस दिन एक महान स्वतंत्रता सेनानी को सड़क के बीचो – बीच फांसी पर लटका दिया गया!

मृत्यु – 7 जुलाई 1857

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