दोस्तों हम आपको एक ऐसी बात बताने जा रहा है जवाब सुनने के बाद यकीन नहीं कर पाओगे। एक ऐसा स्कूल जहां Plastic से पढ़ाई होती है।
आइए जानते हैं इसके बारे में ऐसा कौन सा स्कूल है और यह स्कूल कहां पर है जहां होती है Plastic से पढ़ाई।
आइए दोस्तों हम आपको बताते हैं। आसाम के गुवाहाटी का अक्षर स्कूल जहां फीस के तौर पर लिया जाता है Plastic यानी प्लास्टिक के बदले पढ़ाई।
गुवाहाटी के पामोही विलेज में परमिता और मज़ीन 2016 में स्कूल की शुरुआत की जहां हर स्टूडेंट को बतौर फीस 25 Plastic आइटम्स लाने पड़ते हैं।
प्लास्टिक वेस्ट की स्कूल फीस सुनने में थोड़ा अटपटा सा लग रहा है आइए जानते हैं इसके बारे में थोड़ा विस्तार से क्या है इस स्कूल वेस्ट Plastic का राज।
Parmita ka kehna hai :- we asked our Students as to what problem they faced on a regular basis and
they said that the burning the Plastic is an everyday phenomenon.
सिंगल यूज प्लास्टिक एनवायरमेंट के लिए कितना हानिकारक है। यह हम सभी जानते हैं। क्योंकि एक प्लास्टिक को डीकंपोज होने में 10 से 1000 साल लगते हैं।
और इंडिया में हर रोज 25,940 Tonnes प्लास्टिक वेस्ट होता है 150 ब्लू व्हेल्स जितना भारी यानी 25,940 कार जितना वेट के बराबर इसलिए इसे कम करना बेहद जरूरी है।
और प्लास्टिक बैग्स को कम करने का कुछ ऐसा तरीका ढूंढना होगा। जैसा अक्षर स्कूल ने निकाला है।
Parmita kehti hai:- That plastic recycled by our teenager students to make eco-bricks
and those eco-bricks are used for different kinds of construction
Like planter in our school, we’re also building pathways, connecting the classrooms.
And in the future we want to build a toilet with eco-bricks
क्या बात है। क्या आईडिया है परमिता जी एक बच्चे से 20 25 आइटम पर हफ्ते में स्कूल फीस के तौर पर लिया जाता है
और इनके स्कूल में है। 110 बच्चे इसका एवरेज निकालो तो 1 साल में 1.20 lac इको ब्रिक्स बनते हैं।
स्कूल के ऐसे इनीशिएटिव्स से ना सिर्फ बच्चे बल्कि उनके जरिए उनके पेरेंट्स भी एजुकेट हुए। और पेरेंट्स ने भी प्लास्टिक चलाना बंद कर दिया।
अक्षर स्कूल के सभी स्टूडेंट्स आसपास के गांव के ही है। शुरुआत हुई 20 स्टूडेंट्स आवाज टोटल 110 बच्चे आते हैं।
Mazin :- The goal was to create a school that would teach that conventional subjects like
math English and science but combined with vocational training so that they learn valuable job skills
जैसे कारपेंटर एंब्रॉयडरी फार्मिंग और गार्डनिंग एक और हैरानी वाली बात यह है। कि यहां के बड़े बच्चे छोटे बच्चों को पढ़ाते भी है। जिसके बदले उन्हें पैसे भी मिलते हैं।
बस यहां बच्चों के लिए मनॉपुली नोट मिलते हैं जिससे यह ऑनलाइन शॉपिंग करते हैं।
Mazin:- this way, we were able to eliminate the problem of child labour among our students and so far no students has dropped out
भाई ऐसे पढ़कर तो लग रहा है कि बहुत बढ़िया स्कूल है परमिता और मज़ीन मानना है।
कि जिस तरह उन्होंने सोशल इश्यूज को बच्चों के एजुकेशन का हिस्सा बना दिया है। दूसरे स्कूल्स को भी यही सिस्टम आजमा लेना चाहिए।