Pride of beauty
दूर किसी राज्य में एक बहुत ही अच्छा और न्याय करने वाला राजा था! राजा हमेशा अपनी प्रजा के हित में कार्य करता और उनकी उन्नति के बारे में सोचता रहता था और प्रजा भी अपने राजा से बहुत खुश रहती थी!
उस राज्य के राजा की रानी भी राजा का पूरा साथ देती थी वो भी अपनी प्रजा की भलाई के बारे में सोचती थी!
राजा और रानी की एक ही बेटी थी राजकुमारी इतनी सुन्दर थी कि जो देखता बस उसे देखता ही रहता! Pride of beauty
इसी सुंदरता की वजह से उसका नाम भी राजकुमारी सुंद रीबाला रखा गया! राजकुमारी बचपन से ही अपनी सुंदरता की तारीफ सुनते ही आ रही थी! अब राजकुमारी को भी लगता कि उससे सुन्दर इस दुनिया में कोई नहीं है!
अब राजकुमारी को अपनेआप पर घमंड हो गया और अपने आगे किसी को भी नहीं लगती थी! Pride of beauty
इस वजह से राजकुमारी दूसरो को कष्ट भी पहुंचती!, अपनी सुंदरता की तारीफ सुनने की इतनी आदत लग चुकी थी! अगर कोई राजकुमारी के आस पास से गुजरे और तारीफ ना करे तो सीधे जेल में डाल दिया करती या उसे नौकरी से निकाल देती!
राजकुमारी के ऐसे बर्ताव से राजा और रानी भी परेशान थे अपनी बेटी को बहुत समझते पर उसपर कोई असर नहीं होता!
एक दिन राजकुमारी सुंदरीबाला का मन किया कि गंगा नहाय , अपने पिता जी से आज्ञा मांगी और गंगा नहाने के लिए पालकी में बैठ चल पड़े और राजकुमारी के साथ बहू से दस दासी भी थे!
राजकुमारी आराम से अपनी पालकी में बैठी थी रास्ते से गुजरते हुए!एक ब्राह्मण कि छोटी सी कुथिया थी और उस कुठिया पर बहुत ही सुन्दर सी आकृतियां बनी हुई थी!
दास दासी उस कूठिया को देख उसकी तारीफ करने लगे कि कितनी सुन्दर कला है! इस दुनिया में इस आकृति से सुन्दर तो कुछ भी नहीं होगा!
राजकुमारी को अच्छा नहीं लगा कि उससे सुन्दर किसी और को सुन्दर कहा जाए! तभी राजकुमारी सुंदरीबाला जब गंगा में स्नास करके आई तो शाम हो चली थी और ठंड बढ़ रही थी!
राजकुमारी को बहुत ठंड लगने लगी तो रास्ते में उस ब्राह्मण की कुठिया को देखा! और दास दासियों से कहा कि इस कुठिया को जलाया जाए में अपने हातो और पैरो को सेकुंगी!
दास दासी बोले ये किसी का घर है हम इसे जला नहीं सकते! राजकुमारी ने कहा अगर अभी नहीं जलाया तो में तुम सबको जला कर सकूंगी!
सभी डर गए और उस कुठिया को जलाया राजकुमारी ने अपने हाथ पैर सेक कर वह से चल दिए! Pride of beauty
कुछ देर बाद जब ब्राह्मण वापस आया तो अपने घर को जलता देख बिलखते हुए कहा! मैने किसिका क्या बिगाड़ा था कि मेरा घर जला दिया ये किसने किया है!
एक आदमी ने आकर ब्राह्मण को सारी बात बताई ! ब्राह्मण राजा के पास न्याय मांगने गया ब्राह्मण ने सारी बात बताई कि राजकुमारी ने मेरी कुठिया को जला दिया मेरे साथ न्याय करे महाराज!
राजा सबको एकसमान समझते थे इस लिए उन्होंने राजकुमारी को दरबार में बुलाया और पूछा कि क्या तुमने ब्राह्मण कि कुटिया को जलाया! राजकुमारी ने कहा हा मुझे ठंड लग रही थी! बस इसी लिए जला दिया क्या हुआ एक मामूली से झोपड़े के लिए इतना तमाशा हम इस ब्राह्मण को कुछ सोने के सिक्के से देंगे!
इन सिक्को से ब्राह्मण अपना झोपड़ा फिर से बना लेगा! राजा ने ऐसा नहीं किया और राजकुमारी से कहा ब्राह्मण का झोपड़ा तुम खुद बनाओगी! और खुद की कमाई से जब तक तुम ब्राह्मण कि कुटिया बना नहीं देती तब तक तुम वही रहोगी!
रानी ने राजा से पूछा इसी सज़ा वो नहीं कर पाएगी! राजा बोले हमारी बेटी को सुधारने के लिए बस यही उपाय है!
राजकुमारी ब्राह्मण कि कुटिया के पास गई और गुस्से में बची कुची चीजे भी अपने पैरो से तोड़ने लगी!
कुछ देर तक वही बैठी रही और पैसे कमाने के बारे में सोचने लगी! , फिर खड़ी हुई और जंगल से लकड़ी काटने लगी और लकड़ियों को लेके बेचने लगी शुरुआत में थोड़ी दिक्कत हुई पर अब धीरे _ धीरे राजकुमारी में लगा के अपना काम करने लगी!
रोज लकड़ी बेचकर जो पैसे मिलते उसने से आधे पैसे बचाकर रखती और बाकी पैसे से अपना गुजारा करती!
अब रजुमरी के पास इतने पैसे हो गए थे कि वो ब्राह्मण कि कुटिया बना सके!
एक दिन राजा और ब्राह्मण देखने गए की रजुमारी ने कुटिया बनाया या नहीं जब सब वह पहुंचे तो देख हैरान हो गए!
राजकुमारी ने पहले से भी सुन्दर कुठिया बना चुकी थी! राजा ने अपनी बेटी के सर पर हाथ फेरते हुए कहा मुझे गर्व है तुम पे बेटी!
राजकुमारी ने कहा इस सज़ा से मुझे अपनी गलती का अहसास हुआ! की कोई भी चाहे बड़ी हो या छोटी सभी का मोल होता है! Pride of beauty
सुंदरता रूप से नहीं बल्कि अपने परिश्रम से होती है! मुझे अपनी सुंदरता पर बहुत घमंड था कि मुझसे सुन्दर कोई नहीं है ! लेकिन जब हम अपनी मेहनत से जो भी बनाते हैं सुन्दर वो होता है! हमे अपने परिश्रम पे गर्व करना चाहिए अपने आप पर घमंड नहीं करना चाहिए!