Rajinikanth एक कुली से सुपरस्टार बनने तक का सफर और संघर्ष

भारत में किसी मूवी को रिलीज करने के लिए छुट्टी वाला दिन देखा जाता है। या फिर ऐसे समय पर रिलीज किया जाता है। जब कोई फेस्टिवल आने वाला हो ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को थिएटर तक लाया जा सके।

एक ऐसा शख्स जिसकी फिल्म किसी भी दिन रिलीज कर दी जाए तो छुट्टी अपने आप हो जाती है। Rajinikanth की जिन्होंने लोग एक एक्टर सुपरस्टार की तरह नहीं मानते बल्कि इन्हें भगवान का दर्जा दिया गया है।

दक्षिण भारत में Rajinikanth के नाम से मंदिर भी बनाए गए हैं। जहां पर लोग इनकी पूजा भी करते हैं। शायद इस तरह का प्यार किसी एक्टर को दिया जाता होगा।

लेकिन इस अद्भुत सफलता के पीछे बहुत बड़ा संघर्ष भी छुपा हुआ है। Rajinikanth का जन्म 12 दिसंबर 1950 को कर्नाटक के बेंगलुरु में एक मिडिल क्लास मराठी फैमिली में हुआ था।

बचपन में उनके माता-पिता ने उनका नाम मराठा वीर राजा छत्रपति शिवाजी के नाम पर शिवाजी राव गायकवाड रखा था।

Gurumurthy meets Rajinikanth
image source:newindianexpress.com/@Gurumurthy meets Rajinikanth

Rajinikanth के पिता का नाम रामोजी राव गायकवाड जो एक पुलिस कॉन्स्टेबल थे और उनकी माता का नाम जीजाबाई था। जो एक हाउसवाइफ थी। चार भाई-बहनों में रजनीकांत सबसे छोटे हैं।

1956 में उनके पिता के रिटायर होने के बाद उनका पूरा परिवार बेंगलुरु के हनुमंत नगर में रहने चला गया जहां उनके पिता का अपना खुद का घर था।

6 साल की उम्र में Rajinikanth का एडमिशन गवीपुरम गवर्नमेंट कन्नड़ मॉडल प्राइमरी स्कूल में कराए गए। जहां उन्होंने अपनी पढ़ाई की शुरुआत की बचपन से ही वह पढ़ाई में बहुत अच्छे थे। साथ ही उन्हें खेलकूद में भी बहुत इंटरेस्ट था।

रजनीकांत के परिवार में सभी एक दूसरे से मराठी में बात किया करते थे।

Image Sourcetamil.momspresso.com/@FathersDay Dad of Superstar Rajinikanth

जिससे उन्हें मराठी का नॉलेज तो घर से ही हो गया था साथ ही साथ बेंगलुरु के बाहर की लोकल लैंग्वेज कन्नड़ भी सीख गए।जब रजनीकांत 9 साल के थे तब उनकी मां की मृत्यु हो गई।

उसके बाद उनके भाई ने पढ़ाई के लिए रामकृष्ण मिशन के अंतर्गत चलाए गए मठ में उन्हें भेज दिया। वहां पर रजनीकांत को पढ़ाई-लिखाई के साथ साथ भारतीय संस्कृति और वेदों की भी जानकारी मिली।

मठ में रहते हुए उन्होंने नाटकों में भी भाग लेना शुरू कर दिया। एक बार उन्होंने महाभारत में एकलव्य के दोस्त का रोल किया था। उनके इस एक्टिंग को लोगों ने बहुत पसंद किया।

साथ ही साथ मशहूर कवि डॉक्टर बेंद्रे भी वहां उस नाटक को देखने आए थे। उन्होंने रजनीकांत से पर्सनली मिलकर उनकी एक्टिंग की बहुत तारीफ की जिससे रजनीकांत इंटरेस्ट एक्टिंग में और बढ़ने लगा।

छठी क्लास के बाद रजनीकांत का एडमिशन आचार्य पब्लिक पाठशाला नाम के स्कूल में कराए गया।

B''thday Special:रजनीकांत का नाम अनिल कपूर ने किया था इस्तेमाल
image source:Bollywood Hangover/@B”thday Special:रजनीकांत का नाम अनिल कपूर ने किया था इस्तेमाल

जहां उन्होंने आगे की पढ़ाई यहीं से की लेकिन स्कूल के बाद ही उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत ही खराब हो चली थी।

रजनीकांत ने अपने परिवार के मदद के लिए बेंगलुरु और मद्रास में बहुत से छोटे-छोटे काम किए जिसमें कारपेंटर और कुली का काम भी शामिल था।

उसी वक्त बेंगलुरु ट्रांसपोर्ट सर्विस में कंडक्टर की वैकेंसी आई जिसमें उन्होंने क्वालीफाई किया। फिर वो बस कंडक्टर की नौकरी करने लगे। जिससे अब उनके परिवार की आर्थिक स्थिति अब थोड़ी अच्छी हो गई थी।

अब वो थिएटर की दुनिया से थोड़े अलग हो गए थे। लेकिन उन्होंने एक्टिंग नहीं छोड़ी वो बस में टिकट काटते हुए भी अलग-अलग तरह की एक्टिंग करने और सिटी मारने में पैसेंजर में बहुत फेमस थे।

अभी तक बस में कंडक्टर का काम करते जा रहे थे। लेकिन यह उनके फैशन से बिल्कुल ही अलग था। उसी बीच रजनीकांत ने मद्रास फिल्म इंस्टिट्ट का एडवर्टाइजमेंट एक न्यूज़ पेपर में देखा।

जो फिल्मों में एक्टिंग के लिए कोर्स करवाती थी। रजनीकांत ने एक्टिंग सीखने के बात घर पर की लेकिन उनके परिवार वालों ने उन्हें पैसे ना होने की वजह से उन्हें सपोर्ट नहीं किया।

लेकिन रजनीकांत के साथ काम करने वाले उनके दोस्त राजबहादुर ने एक्टिंग का पागलपन उनके अंदर देखा है

Rajinikanth's journey from a bus conductor to a superstar
Image Source:thelallantop.com/@Rajinikanth’s journey from a bus conductor to a superstar

इसी को देखते हुए मद्रास फिल्म इंस्टीट्यूट में एडमिशन के लिए इनकी पूरी मदद की और फिर रजनीकांत ने कंडक्टर की नौकरी छोड़ दी।

1973 में वे एक्टिंग सीखने लगे। कुछ पैसों के लिए वो जगह-जगह जाकर एक्टिंग किया करते थे। एक बार इंस्टिट्यूट में नाटक के समय एक फेमस डायरेक्टर “K. Balachander” की नजर रजनीकांत पर पड़ी।

वो रजनीकांत की एक्टिंग से इतने प्रभावित हुए। कि उन्होंने वही उनकी एक तमिल फिल्म के लिए उन्हें साइन कर लिया। और साथ ही साथ तमिल भाषा सीखने का सुझाव भी दिया।

K. Balachander के कहने पर रजनीकांत ने तमिल लैंग्वेज भी सीख ली। अब उन्हें तमिल कन्नड़ मराठी भाषाओं की जानकारी हो गई थी।

उसके बाद 1975 में के बालचंदर तमिल ड्रामा फिल्म अपूर्व रागंगल में अपना फिल्मी करियर शुरू किया।

उसमें उन्होंने एक विलेन का रोल निभाया। वैसे तो उनका रोल खास नहीं था। लेकिन लोग उनकी एक्टिंग को पहचानने लगे थे।

उनकी एक्टिंग की वजह से उसी साल उनकी एक और मूवी कथा संगम में भी रोल मिल गया। फिर उसके बाद रजनीकांत ने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा। और अपने यूनिक एक्टिंग के सहारे तमिल फिल्मों के सुपरस्टार बन गए।

तमिल फिल्मों में सुपरस्टार बनने के बाद रजनीकांत ने हिंदी फिल्मों में भी कदम रखा और अपनी पहली हिंदी फिल्म अमिताभ बच्चन के साथ की जिसका नाम अंधा कानून था।

उसके बाद उन्होंने तमिल फिल्मों के साथ हिंदी भाषाओं में भी बहुत सारी फिल्में की रजनीकांत की सबसे बड़ी बात तो यह है। कि वह इतना बड़े सुपरस्टार होने के बावजूद जमीन से जुड़े हुए हैं।

वे फिल्मों के बाहर एक आम आदमी की तरह दिखाई देते हैं। वे दूसरे सफल लोगों से अलग असल जिंदगी में धोती कुर्ता पहनते हैं।

शादी के मंडप तक कैसे पहुंची सुपरस्टार रजनीकांत और उनकी पत्नी लता रंगाचारी की प्रेम कहानी
image source:hindi.bollywoodshaadis.com/@शादी के मंडप तक कैसे पहुंची सुपरस्टार रजनीकांत और उनकी पत्नी लता रंगाचारी की प्रेम कहानी

अगर कोई भी व्यक्ति उनसे मदद मांगने आता है। तो वो कभी खाली हाथ नहीं लौटता रजनीकांत ने कभी अपनी सफलता को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया।

शायद इसलिए उनके प्रशंसक उन्हें प्यार ही नहीं बल्कि उन्हें पूजते भी हैं। आपके मन में रजनीकांत के बारे में क्या विचार है हमें कमेंट करके जरूर बताएं।

इसे भी पढ़ें:- अधिक जानकारी के लिए Click Here

इसे भी पढ़ें:- आज का Horoscope जाननें के लिए Click Here

Scroll to Top