रक्षाबंधन….. Rakshabandhan…..
राखी का इतिहास महाभारत काल से चला आ रहा है !
भगवान श्री कृष्ण की एक शुद्ध देवी नाम की चाची थी उन्होंने शिशु पालन नामक एक वितरित बच्चे को जन्म दिया था!…..
बड़े बुजुर्गों कहते थे कि जिनके छूने से शिशुपाल ठीक होगा! उन्हीं के हाथों से शिशुपाल की मृत्यु भी होगी एक दिन श्री कृष्ण भगवान अपनी चाची के घर उनसे मिलने आए!…..
कृष्णा जी के आने से उनकी चाची बहुत खुश हूं! और जैसे ही उन्होंने अपने बच्चे को कृष्ण जी के गोद में रखा और अचानक से वह बालक बहुत ही सुंदर हो गया!…..
उस समय अपने पुत्र को खूबसूरत आकार में देखकर बहुत खुश थी!फिर अचानक हो उदास और दुखी हो गए “कृष्ण जी ने पूछा क्या हुआ चाची”?
story of history of rakshabandhan
अभी आप कितनी खुश थी और अचानक इतनी उदास क्यों हो गई! कृष्ण की चाची ने कहा फिर मेरा पुत्र जिसके हाथों ठीक होगा उसी के हाथों में उसकी मृत्यु भी होगी!……
शुद्ध देवी ने कृष्णा जी से कहा भले ही मेरा पुत्र कितनी भी गलती कर दे हैं! किंतु उसे सजा तुम्हारे हाथों नहीं मिलनी चाहिए मेरी यह विनती है तुमसे!…..
कृष्ण जी ने अपनी चाची से वादा किया मैं उसकी गलती के लिए उसे माफ कर दूंगा! किंतु उसने 100 से अधिक गलती की तो मैं उसकी गलती माफ नहीं करूंगा!…….
शिशुपाल बड़ा होकर चेड़ी नामक राज्य का राजा भी बन गया! बहुत निर्दई और क्रुर था और भगवान श्री कृष्ण का रिश्तेदार की!..
शिशुपाल अपनी क्रूरता के चलते अपने राज्य के लोगों को भी बहुत परेशान करता था! और बार-बार वन श्री कृष्ण के अभी अपमान किया करता था हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश करता था!……
एक दिन शिशुपाल ने श्री कृष्ण का भरी सभा में अपमान कर दिया और बहुत निंदा की!….
अब शिशुपाल की गलतियां 100 से अधिक हो गई थी!
श्री कृष्ण ने अपने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल के ऊपर प्रहार कर दिया!…….
भगवान श्री कृष्ण के लाख समझाने पर भी शिशुपाल ने अपने गुण नहीं बदले जिसके कारण अंत में उसे अपने प्राण त्याग में पड़े!……
भगवान श्री कृष्ण जब क्रोध में शिशुपाल पर सुदर्शन चक्र छोड़ रहे थे तो उनकी उंगली भी कट गई और खून बहने लगा!….
इस दृश्य को देखकर वहां पर खड़े सभी लोग श्री कृष्ण की उंगली से बह रहे खून को रोकने के लिए उस पर बांधने के लिए यहां वहां दौड़ने लगे! वहीं खड़ी द्रौपदी ने बिना कुछ सोचे समझे अपनी साड़ी के पल्लू को फादर भगवान श्री कृष्ण की उंगली पर बांध दिया!…..
भगवान श्री कृष्ण की उंगली से बहता खून रुक गया! … ईश्वर भगवान श्रीकृष्ण द्रोपति से बोले शुक्रिया प्यारी बहना तुमने मेरी उंगली से बहते खून को रोकने के लिए अपनी साड़ी तक को फाड़ दिया! ….. तुमने मेरे दुख में साथ दिया है तो मैं भी तुम्हारे दुख में तुम्हारा साथ दूंगा!….
ऐसा कहकर श्री कृष्ण भगवान ने द्रौपदी को वचन दिया… इसी घटना को रक्षाबंधन का नाम दिया गया
एक दिन जब कौरवों ने राज्य में द्रोपति की साड़ी खींचकर अपमान करने का प्रयास कर रहे थे! तब भगवान कृष्ण ने द्रोपदी की लाज बचा कर अपना वादा पूरा किया!….
उसी के बाद द्वापर युग से भी आज तक रक्षाबंधन का त्यौहार मनाया जाता है!..Rakshabandhan
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