Sukhdev in hindi !आपकी भारतीय स्वतंत्रता सेनानी सुखदेव थापर के बारे में जानने की इच्छा है’तो देखें!

भारतीय क्रांतिकारी के बारे में!

Sukhdev thapar

सुखदेव जी का असली नाम नाम सुखदेव थापर था। सुखदेव थापर ने लाला लाजपत राय जी का बदला अंग्रेजों से लिया था! तथा उन्होंने वीर भगत सिंह का मार्ग दर्शन भी किया था! उन्होंने ही लाला लाजपत राय से मिलकर चंद्रशेखर आजाद जी को मिलने कि इच्छा जताई थी!

तथा सुखदेव जी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के एक प्रमुख क्रान्तिकारी थे! उन्हें वीर भगत सिंह और क्रांतिकारी राजगुरु के साथ ही 23 मार्च 1931 को फाँसी पर लटका दिया गया था! उनके इस बलिदान को आज भी सम्पूर्ण भारत में सम्मान व गर्व की दृष्टि से देखा जाता है! सुखदेव वीर भगत सिंह की तरह अपने बचपन से ही आज़ादी का सपना पाले हुए थे! तथा ये दोनों लाहौर नेशनल कॉलेज के छात्र थे। दोनों एक ही साथ एक ही वर्ष पंजाब में पैदा हुए और एक ही साथ हमारे देश भारत के लिए शहीद हो गए!

Sukhdev thapar

सुखदेव थापर

Sukhdev thapar

जन्म

15 मई 1907
लुधियाना, पंजाब, ब्रिटिश इंडिया

मृत्यु

23 मार्च 1931 (उम्र 23)लाहौर, ब्रिटिश इंडिया

राष्ट्रीयता

भारतीय

सुखदेव थापर जी का जीवन की कहानी!

सुखदेव थापर का जन्म लुधियाना,पंजाब में हिन्दू परिवार *श्रीयुत् रामलाल थापर तथा श्रीमती रल्ली देवी के घर विक्रमी सम्वत के ♦वैशाख मास में शुक्ल पक्ष तृतीया तदनुसार 15मई 1907 को लगभग पौने ग्यारह बजे हुआ था! ♪जन्म से तीन माह पूर्व ही पिता का स्वर्गवास हो जाने के कारण, इनके ताऊ अचिन्तराम ने इनका पालन पोषण करने में इनकी माता को पूर्ण सहयोग किया! ♥सुखदेव की तायी जी ने भी इन्हें अपने पुत्र की तरह पाला!

लाला लाजपत राय जी की मौत का बदला कैसे लिया!

लाला लाजपत राय की मौत का बदला लेने के लिये जब योजना बनी! ★तो साण्डर्स का वध करने में इन्होंने भगत सिंह तथा राजगुरु का पूरा सहयोग किया था! यही नहीं, सन् 1929 में जेल में कैदियों के साथ हो रहे अमानवीय व्यवहार किये जाने के विरोध में राजनैतिक बन्दियों द्वारा की गयी व्यापक हड़ताल में बढ़-चढ़कर भाग भी लिया था!

★गान्धी-इर्विन समझौते के सन्दर्भ में इन्होंने एक खुला खत गान्धी के नाम अंग्रेजी में लिखा था! जिसमें उन्होंने महात्मा गांधी जी से कुछ गम्भीर प्रश्न किये थे! उनका उत्तर यह मिला कि निर्धारित तिथि और समय से पूर्व जेल मैनुअल के नियमों को मान्यता ना रखते हुए 23 मार्च 1931 को सायंकाल 7 बजे ही सुखदेव थापर, राजगुरु और वीर भगत सिंह तीनों को लाहौर के सेण्ट्रल जेल में फाँसी पर लटका दिया गया! इस प्रकार वीर भगत सिंह तथा राजगुरु के साथ सुखदेव जी भी मात्र 23 वर्ष की आयु में ही भारतवासियों के नजर में अमर तथा शहीद हो गए!

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