एक छोटे से गांव में एक लड़की थी। जिसका नाम Tara था। वो बहुत ही गरीब परिवार से थी। तारा तीन बहने थी उसमें तारा सबसे बड़ी थी। Tara हमेशा आसमान की तरफ देखा करती , और अपनी माॅं से कहती में भी एक दिन आसमान जितना उचा उड़कर दिखाऊंगी ।तारा की इतनी ऊंची सोच और सपने को देख उसकी माॅं हमेशा इसी डर में रहती की तारा के सपने कभी पूरे नहीं हो पाएंगे । Tara के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी उसकी माॅं जानती थी ना वो अपने किसी भी लड़की को पढ़ा पाएगी ना उनके सपने पूरे कर पाएगी ।
Tara की माॅं दूसरो के घर काम करके अपने परिवार का पेट भरती है ,तारा के पिता को शराब पीने की बुरी आदत थी इसी आदत के कारण वो इस दुनिया से चल बसे ।तारा की माॅं अकेले ही तीनों बेटियों को कैसे संभाल रही थी वहीं जानती थी ,
तारा जब सभी बच्चो को स्कूल जाते देखती तो उसका भी मन करता स्कूल जाने का वो रोज़ अपनी माॅं से कहती में भी स्कूल जाऊंगी उसकी माॅं किसी ना किसी बहाने से रोज उसको टाल देती , क्योंकि तारा जिस गांव में रहती थी उस गांव के लोग लड़कियों की पढ़ाई पर बंदिश लगाते थे। अब तारा स्कूल जाये भी तो जाये कैसे ?
एक दिन सारे लड़के स्कूल जा रहे थे तारा भी उनके पीछे पीछे स्कूल चली गई ,लेकिन स्कूल के अंदर नहीं जा पाई वो खिड़की से ही टीचर को पढ़ते हुए देखती ,इसी तरह वो भी बाकी बच्चो की तरह पढ़ रही थी। वो वह भी पढ़ती और घर आकर अपनी दोनों बहनों को भी पढ़ती ।एक दिन उसकी माॅं ने पूछा तुम कैसे इतना सब जानती हो ,तारा ने कहा स्कूल की खिड़की से छुपके जो टीचर पढ़ती है सब ध्यान से सुनती हूं तारा की पढ़ाई में इतनी लगन को देख तारा की माॅं ने सोचा में अपनी बेटियो को भी स्कूल भेजूंगी ।
तारा की माॅं पहले जमींदार के पास गई जहा वो काम करती थी। उसने अपनी बेटियों की पढ़ाई के लिए जमींदार से बात की, जमींदार गुस्सा होकर तारा की माॅं को डाटने लगा ।अपनी लड़कियों से घर के काम कराने के बजाय उनको पढ़ने के बारे में सोच रही हो खाने को तो बचता नहीं पढ़ाई का खर्च कहा से दोगी तभी जमींदार का बेटा वहा आ गया। बेटा पढ़ा लिखा और समझदार था ,उसने सारी बाते सुन ली थी अपने पिता को समझाने लगा जमींदार को ना चाहते हुए भी अपने बेटे की बात माननी पड़ी।
तारा और उसकी बहने स्कूल जाने लगी, शुरुआत में गांव के लोग दिक्कत करते थे फिर वो भी अपनी बेटियों को पढ़ने के लिए भेजने लगे ।इस तरह तारा की स्कूल की पढ़ाई तो पूरी हुई लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए उस गांव से बाहर जाना होगा जिसके लिए कोई भी त्यार नहीं था , सब यही कहते एक अकेली लड़की बाहर पढ़ने जाएगी ये कभी नहीं हो सकता तारा काम भर पढ़ चुकी है अब उस और आगे पढ़ने की कोई जरूरत नहीं है। जमींदार ने कहा अब तारा के लिए लड़का देख उसकी शादी कर दो इसी में उसकी भलाई है,,
तारा ये सब बातें सुनकर बहुत दुखी हुई और बहुत रोई भी उसने अपनी माॅं से कहा माॅं मेरे साथ ऐसा मत करो में आगे पढ़ना चाहती हूं । मुझे अभी शादी नहीं करनी ।माॅं ने कहा आगे पढ़ने के लिए तुझे अकेले बाहर कैसे भेजू जमाना बहुत खराब है,,तारा ने कहा माॅं मुझपे एक बार भरोसा तो करके देखो में कभी तुम्हे निराश नहीं करूंगी में जानती हूं लेकिन दुनिया इस बात को नहीं समझेगी। मजबूरन तारा ने वो किया जो वो नहीं करना चाहती थी ,,,एक रात तारा ने अपनी माॅं को चिट्ठी लिखकर तकिये के पास रख गांव छोड़ कर चली गई सुबह जब उसकी माॅं ने चिट्ठी जमींदार से पढ़वाई तो बहुत जोर जोर से रोने लगी जमींदार ने भी तना मारते हुए कहा ,,जा तेरी बेटी तेरी नाक कटवा कर भाग गई अब तेरी दोनों बेटियों की शादी कैसे होगी। तारा की माॅं कुछ देर बाद जमींदार को जवाब दिया मेरी बेटी मेरी नाक काटकर नहीं गई है मेरा नाम रोशन करने गई और रोशन करके ही आएगी ,जमींदार ने तारा की माॅं को नौकरी से निकाल दिया और कहा जा यहां से और कभी वापस मत आना में भी देखता हूं। अब कैसे तेरा घर चलेगा क्या खाएगी और कैसे पढ़ाएगी।
उधर तारा शहर पहुंच गई उसके पास सिर्फ एक हजार रुपए थे अनजान जगह में उसे कुछ समाज नहीं आ रहा था कि वो क्या करे घूमते घूमते दिन खत्म हुआ अब तारा को डर लग रहा था वो एक पेड़ के नीचे बैठकर रो रही थी । तभी एक गाड़ी तारा के पास रुकी और उसमे से एक लड़का बाहर आया ,जिसको देख तारा थोड़ा घबराई पर उसने थोड़ी हिम्मत दिखाई अपने डर को अपने चेहरे पर नहीं आने दिया और अपने पर्स में से पैपर स्प्रे निकाल कर अपने हात में लेलिया।लड़का बहुत नशे में था वो ठीक से खड़ा भी नहीं हो पा रहा था जैसे ही उसने अपना अग्ला कदम बढ़ाया वो गिर पड़ा और बेहोश हो गया ,तारा डरी डरी सी उसके पास गई और उसे जगाने की कोशिश करने लगी तब लड़के के पास का फोन बजा तारा ने फोन उठाया फोन के उस और लड़के की माॅं थी ,कहा हो बेटा केह कर पूछने लगी तारा ने जवाब दिया आपका लड़का यहां सड़क पर बेहोश पड़ा है। लड़के की माॅं घबरा गई और तारा से कहा तुम जो भी हो प्लीज़ उसे घर ले आओ में एड्रेस सेंड करती हूं।
तारा ने बताए एड्रेस पे उस लड़के को ले गई ,लड़के की माॅं और तारा दोनों ने लड़के को घर के अंदर ले गए लड़के की माॅं ने तारा को थैंक्स कहा और उसके बारे में पूछा तारा ने बताया में इस शहर में नई हूं और यहां किसी को नहीं जानती और मेरा यहां कोई अपना नहीं है में इस अनजान जगह पर अपना सपना पूरा करने आई हूं ,, लेकिन समझ नहीं आ रहा है कि शुरुआत कहा से करू लड़के की माॅं को तारा पे दया आई और उन्होंने कहा बेटी तुमने मेरी मदद की है तो मेरा भी फ़र्ज़ है की में तुम्हारी मदद करूं तुम्हारा इस शहर में कोई नहीं है क्या तुम मेरे घर रहकर अपनी पढ़ाई पूरी करोगी। तारा ने कहा थैंक्स आंटी लेकिन में तो आपको और आप मुझे अच्छे से जानती भी नहीं तो में यहां कैसे रह सकती हूं ,बस इतनी सी बात में एक सबसे बड़े कॉलेज की प्रिंसिपल हूं मेरी फैमिली में मेरे पति ,एक बेटी जिसका नाम नेहा है और ये मेरा बेटा ऋषि है अब अपने बारे में कुछ बताव मेरा नाम तारा है में एक छोटे से गांव से शहर में अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए आई हूं मेरे घर में मेरी मां और मेरी दो बहाने है मेरे पिता नहीं है उनकी सारी जिम्मदारी मेरे ऊपर है इस लिए मैं यहां अपनी पढ़ाई पूरी करके कुछ बनके जाना चाहती हूं।
ऋषि की माॅं ने कहा ठीक है अब जान पहचान हो गई ,अब से तुम यहीं पर रहोगी और मेरे दोनों बच्चो के साथ पढ़ने जाओगी। तारा मना नहीं कर पाई और हा कह दी। अगली सुबह ऋषि की माॅं ने दोनों बच्चो से तारा की जान पहचान कराई नेहा बहुत फ्रेंडली थी उसने तारा से फ्रेंडशिप कर ली ऋषि थोड़ा अकडू टाइप का है उसने तो तारा से बात भी नहीं की और कॉलेज के लिए निकल गया ,नेहा तारा और उसकी माॅं तीनों एकसाथ कॉलेज गए तारा का एड्मिशन हुआ और तारा ने पूरे कॉलेज में अच्छे नम्बर से पास हुई ।तारा पायलेट बनी और ये गुड न्यूज लेकर अपने गांव गई तारा की माॅं और बहने तारा को पायलेट बना देख बहुत खुश हुए गांव के सब लोग खुश थे तारा की पूरे गांव में चर्चा हो रही थी ये सुन जमींदार शर्मिंदा हुआ Tara और उसकी माॅं से माफी मांगी और ये ऐलान कर दिया की हर लड़की पढ़ेगी और जो चाहे वो बन सकती है।
Tara की दोनों बहनों की शादी हो गई ,तारा ने अपने गांव में तरक्की के नय रास्ते बनाए।,,,एक दिन अचानक ऋषि और उसकी माॅं तारा के गांव आए और तारा की माॅं से अपने बेटे ऋषि के लिए तारा का हात मांगने लगे और तारा से पूछा तो तारा ने भी हा कह दिया। Tara और ऋषि की शादी हो गई और दोनों खुशी खुशी रहने लगे और तारा की माॅं अपने गांव में छोटे छोटे बच्चो को अपने घर में पढ़ाने लगी और संस्था चलने लगी।