तारा रानी श्रीवास्तव कौन थी ?
Tara rani Shrivastav ki kahani
बिहार की बेटी तारा रानी श्रीवास्तव! इनका जन्म बिहार की राजधानी पटना के नजदीक सारण जिले में हुआ था। तथा इनके बारे में कहा जाता है उन्हें जिसकी तिरंगा से बहुत प्यार था! और वह इस तिरंगे के लिए मर मिटने को भी तैयार थी! उस समय पर बाल विवाह को मान्यता होने की वजह से उनकी शादी कम उम्र में ही हो गई! उनकी शादी जाने-माने स्वतंत्रता सेनानी फूलेंदु बाबू से कर दी गई! अपने पति फूलेंदु बाबू की तरह ही तारा रानी श्रीवास्तव भी देश को आजादी दिलाने के लिए हर कदम पर अपने पति के साथ रहती थी।
तारा रानी श्रीवास्तव की जीवन और उनकी संघर्ष की कहानी!
तारा रानी श्रीवास्तव उन स्वतंत्र सेनानी में से एक थी, जिन्होंने अपने देश के तिरंगे को पति की जान से भी ज्यादा सम्मान दिया। उन्होंने अपने क्षेत्र में ब्रिटिश शासन का विरोध प्रदर्शन करते हुए! सीवान पुलिस स्टेशन की छत पर अपने भारत देश की राष्ट्रीय ध्वज को फहराया!
क्या आप जानते हैं! हमारी बिहार की बेटी तथा मां तारारानी श्रीवास्तव जिन्होंने हमारे धरती मां के लिए अपनी पूरी जीवन न्योछावर कर दी!
अपने देश भारत को अंग्रेजों से आज़ाद करवाने में देश के कई क्रांतिकारियों ने अपनी जान गवाकर वीरगति को प्राप्त हुए! उनकी जान की कुर्बानियों की बदौलत ही हम आज आज़ादी के साथ जी पा रहे हैं! कुछ क्रांतिकारी ऐसे भी हैं, जिन्होंने अंग्रेजों की इस लड़ाई में अपनी जान गवा दी! लेकिन उनकी इस कुरबानी को ज्यादातर लोग नहीं जानते। इन्हीं में से एक हैं हमारी बिहार की बेटी! तथा मां तारारानी श्रीवास्तव जिन्होंने हमारे धरती मां के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी!
हमारे बिहार की देवी और हमारे देश की शान तारा रानी श्रीवास्तव एक ऐसी महिला थी जिन्होंने ब्रिटिश काल में लाठीचार्ज में पति को खोकर भी तिरंगा फहराया!
जब महात्मा गांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन चल रहा था! उस समय उनके पति फूलेंदु बाबू भी सिवान थाने की तरफ चल दिए! उनके साथ पूरा जनसैलाब था । तारारानी श्रीवास्तव इन सभी लोगों का नेतृत्व कर रहीं थीं! 12 अगस्त 1942 एक ऐसी घटना घटी जो उनके जीवन को समाप्त कर गई! उस दिन उनके लिए सबसे दर्दनाक दिन था! तारा रानी श्रीवास्तव अपने पति के साथ सभी को लेकर आगे बढ़ रही थीं! भारी हंगामे के बीच पुलिस ने लाठियां बरसाई इसके बाद भी जब भीड़ नहीं रुकी तो! पुलिस ने गोलियां चला दी इस बीच तारा रानी के पति फुलेन्दु बाबू पुलिस की गोली लग गई और वह घायल हो गए !
इसके बाद तारा रानी श्रीवास्तव उनके पास दौड़ते हुए गई! और उनके घाव पर पट्टी बांधी ! फिर जो उन्होंने किया, वह शायद ही कोई कर सकता था। वह वहीं से फिर वापस मुड़ीं और पुलिस स्टेशन की तरफ चल पड़ीं| और वह वहां से सीधा पुलिस स्टेशन की ओर चल पड़ी और वहां जाकर हमारे देश की तिरंगा को लहराया !तिरंगा फहराकर जब वे अपने पति के पास आईं! तब तक उन्होंने अपने पति को खो दिया था! उनके अंतिम संस्कार में भी वे खुद को मज़बूत बनाए खड़ी रहीं ! ऐसी महिला को हम लोग नहीं जानते और हम लोग घर पर शांति से रहते हैं! उन्होंने अपने पति को खोकर भी हमारे देश के तिरंगा कि शान को ना मिटने दिया !
1947 तक गाँधी जी के साथ उनके आंदोलन का अहम् हिस्सा रहीं !
15 अगस्त, 1942 को छपरा में उनके पति की देश के लिए कुर्बानी के सम्मान में प्रार्थना सभा रखा गया था!
अपने पति को खोने के बाद भी तारा रानी श्रीवास्तव आजादी और विभाजन के दिन 15 अगस्त, 1947 तक गाँधी जी के साथ उनके आंदोलन का अहम् हिस्सा रहीं थी!
Tara rani Shrivastav मेरी मां,♥️♥️♥️♥️