पुराने जमाने में जिनके पास जितनी दौलत होती उसकी ठाठ उतनी ही होती।
एसी ही एक कहानी है एक जमींदार की, जिसकी बड़ा गांव पर जमींदारी चती थी।
घोड़े पर सवार होकर हाथ में चाबुक लिए बड़े ही शान से लगन वसूली करने निकाल पड़े।
जमींदार को सभी राजा साहब के नाम से जानते थे। राजा साहब बड़े ही मग्रूर किस्म के थे।
जो लोग लगान नहीं दे पाते उन पर कोड़े बरसाने लगते, एक दिन एक गांव से दूसरे गांव जाना था लगन वसूलने।
उस समय कितनी भी लंबी दूरी या तो पैदल चलकर पूरी करनी पड़ती या फिर घोड़े के सहारे।
राजा साहब भी अपने घोड़े पर सवार हो कर डेढ़ सो किलो मीटर का सफर शुरू किया।
घोड़ा एक ही रफ्तार में दौड़े जा रहा था आधा रस्ता ख़तम होने के बाद घोड़ा थक गया और रुका तो भी ऐसी जगह जहां पानी तक नहीं था।
चारो तरफ रेगिस्थान था और अचानक तेज तूफान शुरू हुआ और उसमे से अगल बगल से सियारो के रोने की आवाजे सुनाई देने लगी।
राजा साहब बोले ना जाने किसका मुंह देखकर निकाला था और घोड़ा भी तूफान कि वजह से जोर – जोर से उछलने लगा।
घोड़े के उछलते ही राजा साहब नीचे गिर गए उन्हें तूफान कि वजह से राजा को कुछ भी नही दिखाई दे रहा था।
राजा साहब अपनी आंखो को मिचते हुए खुदको संभालने की कोशिश कर रहे थे।
अचानक उस रेत के तूफान में राजा को दो लाल भयानक आंखे दिखाई दी।
The landlord’s girlfriend became a vampire.
राजा को शिकार खेलने का बड़ा शौक था जब लगा आज खुद ही शिकार बन जाऊंगा तो राजा साहब के रोंगते खड़े हो गए।
राजा साहब ने अपने जीवन में बहुत से शिकार किय पर कभी किसी भी जानवर की आंखे इतनी भयानक नहीं देखी।
जो धीरे – धीरे राजा साहब के नजदीक बड़ रहा था और हमला करने ही वाला था।
उस भयानक तूफान में अचानक से एक हाथ ने राजा साहब को अपनी ओर खींचा और कहा जल्दी करो बाबू।
वो आवाज़ किसी बूढ़े व्यक्ति की थी एक हाथ से वो राजा साहब के कंधे को पकड़े उसे घसीटता हुआ उस जनली जानवर से बचा रहा था और दूसरे हाथ में जलता हुए मशाल लिए हुए था।
फिर भी वो भयानक लाल आंखो वाला जानवर राजा साहब के पीछे दौड़ रहा था।
पीछे से कुछ लोगो के चीखने चिल्लाने की आवाजे भी सुनाई दी कुछ दूर टीले पीछे पोछने के बाद वो बूढ़ा व्यक्ति ने राजा साहब से बोला, अब चेन कि सास लो बाबू खतरा टल गया।
ये सब क्या था राजा ने सवाल किया, बूढ़े व्यक्ति ने कहा तुम्हारा दूसरा जन्म बाबू अब मेरे पीछे – पीछे चले आओ।
राजा साहब बहुत डरे हुए हालत में उस बूढ़े व्यक्ति के पीछे चल दिए।
राजा चलते – चलते बहुत थक चुके थे भूक़ ओर प्यास से भी हालत बहुत खराब हो चुकी थी।
अब राजा साहब एक कदम और नहीं चल पाते तभी अचानक लोगो की चेहल पेहल की आवाज सुनाई दी।
एक नोवजवन लड़का दौड़ कर उस बूढ़े व्यक्ति के पास आकर बोला, आप ठीक तो है ना बाबा इस भयानक तूफान में कहा चले गए थे।
उस बूढ़े व्यक्ति ने कहा कही नहीं बेटा, तीनों एक घर के अंदर गए।
बूढ़े व्यक्ति ने कहा बाबू यहां आराम करो अभी खतरा टला नहीं है।
एक छोटी सी लड़की ने घर में दिया जलाया ओर राजा साहब को खाना, पानी दिया राजा अब आराम कर रहे थे।
राजा साहब के मन में बार – बार बस वो भयानक लाल आंखे दिखाई दे रही थी। उनके में में बहुत से सवाल उठ रहे थे।
बूढ़े व्यक्ति से पूछने लगे वो सब क्या था अजीब सी आवाजे वो भयानक लाल आंखे किसकी थी वो आखी क्या था।
तभी उस नोवजावन लड़के ने सवाल किया कि बाबा ये आदमी को है।
राजा साहब ने अपना सीना चौड़ा करते हुए कहा बारह गांव का जमींदार हूं में राजन सिंह सब लोग मुझे राजा साहब के नाम से जानते हैं।
ये सुन सभी लोगो ने झुककर रहा साहब को प्रणाम किया पर बूढ़ा व्यक्ति हस पड़ा और बोला मज़ाक करने के लिए कोई ओर नहीं मिला।
राजा साहब गुस्से में बोले क्या मतलब, बूढ़े ने कहा ये मेरा गांव है में यहां का राजा हूं यहां सिर्फ मेरी हुकूमत चलती है।
बूढ़े व्यक्ति ने अपने परिवार का परिचय कराया, दो बेटे एक बड़ी बहू और मुझाई आवाज में कहा ये मेरी बेटी राधा।
राधा बहुत ही सुन्दर थी उस घर में एक ही दिया जल रहा था फिर भी राजा साहब की आंखो से राधा कि खूबसूरती छुप नहीं पाई।
फिर एक छोटे से बच्चे ने पानी का ग्लास लाया ओर कहा बाबा आप कहा गए थे।
तब राजा साहब ने बूढ़े व्यक्ति को शुक्रिया करते हुए कहा आपने मुझे उस भेड़िए से बचाया।
बूढ़े व्यक्ति ने हस्ते हुए कहा तुम उसे भेड़िया समझ रहे हो वो भेड़िया नहीं है बाबू मोत है।
वो पिसाच है खून पीते हैं लोगो का हमारे गांव को बर्बाद कर दिया है उन पिशाचों ने राजा साहब बहुत डर गए।
फिर बूढ़े व्यक्ति से पूछने लगे क्या पिसाच सच में होते है। बूढ़े ने जवाब दिया हा पिसाच सचमे होते है।
पहले में भी इन सब पर विश्वास नहीं करता था फिर एक दिन इस गांव में एक आदमी रहने आया था
करीब पाच साल पुरानी बात है उस आदमी के आने के बाद से ही यह मौत का खेल शुरू हुआ।
कुछ लोगो ने तो उसे खुद इंसानों का खून पीते देखा है।वो पिसाच जिस किसी को भी अपना शिकार बनाता है वो भी उसके जैसा हो जाता है।
राजा साहब ने कहा फिर आप सब इस गावं को छोड़ क्यों नहीं देते।
बूढ़े व्यक्ति ने कहा पुरखो का बसाया ये गांव कायरो कि तरह छोड़कर केसे चले जाते।
डर कर भागने से अच्छा है कि उन पिशाचों से लड़ कर यही मर जाय।
बूढ़े ने एक संदूक खोला और उसमे से एक चांदी कि कतार निकली और कहा देवी मां के मंदिर से लाई ये कतार उस पिसाच का किस्सा हमेशा के लिए ख़तम कर देगी।
आज की रात या तो उस पिसाच का खूनी खेल ख़तम होगा या मेरा अंत होगा।
दोनों बेटो से कहा एक बात याद रखना अगर में तीन दिनों के अंदर लोट आऊ तो ठीक है।
अगर तीन दिनों के बाद आऊ तो मूझपर भी भरोसा मत करना सीधे खंजर मेरे सीने के आर पार कर देना।
दोनों बेटो ने कहा हम ऐसा केसे कर सकते है, बूढ़े ने कड़े आवाज में कहा इस है करना होगा।
इतना कहकर बूढ़े ने राजा से भी कहा सुबह मौसम ठीक हो जाय तो इस गांव से चले जाना।
बूढ़े ने अपनी लाठी उठाई और अंधेरे में ही बाहर चला गया। सब लोग रात भर सो नहीं पाए।
अगली सुबह राजा साहब जाने के लिए निकालने ही वाले थे कि छोटे से बच्चे ने कहा।
कहा जा रहे हो बाबू मौसम बहुत खराब है। राजा साहब मन ही मन खुश हुए क्युकी वो जाना भी नहीं चाहते थे।
वो तो राधा कि और खींचे जा रहे थे कोई ना कोई बहाना बनाकर राजा रूक ही जाते।
ऐसे ही करते – करते तीन दिन बित गए और आया वो दिन सब लोग सहमे हुए से एक जुट होकर एक कमरे में बैठे हुए थे।
बच्चे घर के अंदर ही खेल रहे थे तभी अचानक खिड़की से बड़ी सी परछाई दिखाई दी।
बच्चे डर के मारे चिल्लाने लगे और डोधते हुए अपने पिता के पास गए और बोले दादू।
बड़े बेटे ने दरवाजा खोला तो सामने वो बूढ़ा व्यक्ति जिसके बाय कंधे पर घाव का निशान था।
बूढ़े की आंखे भयानक लाल हो चुकी थी पूरा शरीर सफेद हो चुका था।
हाथ में एक खोला लिए हुए था जिसमें से खून टपक रहा था।
कुछ पल सब ख़ामोश थे फिर बूढ़े ने गुस्से में कहा तुम लोगो को दिखाई नहीं देता कि में घायल हूं।
तब राजा साहब ने कहा अरे कोई पानी लाओ दवा लाओ सब दौड़ पड़े दवा लगने के लिए तब बूढ़े ने कहा में थका हुआ हूं ।
मुझे आराम करना है तब बड़ी बहू ने अपने बच्चो को सोने के लिए भेज दिया और सबसे कहा अभी बापू को आराम करने देते है हम सुभे दवा लगा देंगे।
सब लोग अपने कमरों में चले गए और बूढ़ा अकेले एक खटोले पर दिए कि रोशनी में बैठा हुआ था।
तभी राधा आई और बूढ़े के पर के पास बैठ कर बोली बापू इं तीन दिनों में क्या हुआ मुझे नहीं बताओगे।
बूढ़े ने कहा बताऊंगा बेटी फुरसत से बताऊंगा अभी के लिए बस इतना जान लो उस पिसाच का आतंक ख़तम हुआ।
अगल दिन सब बूढ़े के पास आय तब बूढ़े ने उस झोले में हाथ डाला जिसमें से खून टपक रहा था।
बूढ़े ने एक मुंडी निकली ओर अपने बेटे से कहा, ले बेटा इस मुंडी को घर के बाहर लटका दे।
जिससे गांव के लोगो को विश्वास हो जाय कि उस पिसाच का अंत हो गया है।
तूफान ख़तम हो गया था अब राजा साहब कोई बहाना नहीं था।
बूढ़े ने राजा को विदा करने की सारी तयारी कर चुके थे, तब ही गांव का एक आदमी सामने आया ओर बोला।
राजा साहब आप गांव के बाहर जाने वाली पुल तूफान की वजह से टूट गई है।
आप केसे जा पाएंगे राजा साहब बहुत खुश हुए क्युकी राधा को छोड़ कही जाने का मन ही नहीं करता था।
अब जब तक पुल नहीं बनता राजा साहब यही रहेंगे ओर राधा को बस देखते रहेंगे।
राजा साहब राधा के बारे में सोचते – सोचते कब उनकी आंख लग गई और वो से गए।
तभी अचानक कोई आवाज सुनाई दी और राजा की आंख खुल गई तभी उसे लगा कि खिड़की से कोई झांक रहा है।
राजा को वहीं दो लाल आंखे दिखाई दी तो बिस्तर पर ही संन रह गए।
राजा को बगल वाले कमरे से किसी के बोलने की आवाज सुनाई दी।
कोई बच्चे को फुसला कर बुला रहा है तभी राजा ने कहा कि बच्चा कहा है।
राजा की आवाज सुनकर घर के सभी लोग जाग गए और उस कमरे में गए तो बूढा वह नहीं था।
तब बच्चो कि मां ने कहा बच्चे कहा है छोटा बच्चा तो वहीं पर सोया था।
पर बड़ा बच्चा नहीं था सभी उसे धुंडने में लग गए तब बड़ा बच्चा तालाब में मिला।
सभी लोग उस बच्चे को घर के अंदर ले गए और उसे जगाने लगे। बच्चे के जागने के बाद उसके पिता ने पूछा तुम तालाब में केसे गिर गए।
बच्चे को कुछ भी याद नहीं था तभी उसकी मा ने कहा उसकी तबिया भी ठीक नहीं है।
अगली सुबह राजा कि नींद खुली तो उसे रोने कि आवाज सुनाई दी।
बच्चा नींद में ही मर चुका था कहा सभी लोग रो रहे थे तभी राजा साहब ने बूढ़े व्यक्ति को देखा तो उसकी आंख से एक भी आंसू भी टपका।
बूढ़े के बड़े बेटे को अपने पिता पर शक हुआ उस गुस्से से देख रहा था।
इन सब के बाद कुछ दिन बीत गए और माहौल कुछ ठीक हो गया था।
राजा साहब ने हिम्मत जुटाई और वहां गए जहा राधा बगीचे में पानी डाल रही थी।
राजा राधा के सामने आया ओर अपने प्यार का इजहार किया फिर राधा से पूछने लगा क्या तुम भी मुझसे प्यार करती हो।
पहले तो राधा डर गई और हिचकिचाती हुई आवाज में बात को टालने लगी।
राजा भी अपनी बात पर डटा रहा और कहा जब तक मेरे सवाल का जवाब नहीं दोगी तब तक में यहां से नहीं जाऊंगा।
राधा शर्मा भी रही थी और डर भी रही थी किसी ने देख लिया तो क्या समझेगा।
राधा ने राजा के जवाब में बस अपना हाथ राजा के हाथ में दे दिया।
राजा साहब की खुशी का ठिकाना नहीं रहा, तभी राधा के चेहरे पर डर देख राजा पल्टे।
तो पीछे राधा के पिता खड़े थे राधा झट्से वहां से भाग गई और बूढ़े व्यक्ति ने राजा साहब से कड़े शब्दों में कहा।
राजा साहब अब गांव का पुल बन चुका है। अब यहां ज्यादा दिन तक रुकना ठीक नहीं।
मुझे लगता है कि अब तुम्हे विदा ले लेना चाहिए,,, राजा को ना चाहते हुए भी वहा से जाना पड़ा।
राजा साहब को उस गांव से गए एक साल हो गया था फिर भी राजा के में से राधा कि याद नहीं गई।
अब राजा ने में बना लिया कि चाहे जो हो जाय अब वो राधा को अपने साथ लेकर ही आएंगे।
बस घोड़े पर सवार होकर राजा साहब अपनी राधा को लाने के लिए फिर से उस गांव की ओर चल पड़े।
गांव के नजदीक आते ही घोड़ा रूक गया और जोर से उछल ने लगा।
राजा घोड़े पर से उतरे ओर पैदल ही चलने लगे और गांव पहुंच गए गांव एक दम शमशान बन चुका था।
गांव में एक भी आदमी नहीं दिखाई दे रहा था तब राजा साहब को एक मंदिर दिखाई दिया।
मंदिर का दरवाजा खटखटाया तो पंडित ने दरवाजा खोला और राजा साहब को जल्दी से अंदर खींच लिया।
पंडित ने राजा को पानी पिलाया और राजा साहब ने देखा कि और भी बहुत से लोग मंदिर में डर के मेरे बैठे थे।
राजा को देखते ही वो लोग राजा के पर पकड़ कर मदद कि गुहार करने लगे।
राजा ने पूछा कि राधा के परिवार वाले कहा है। तब पंडित ने कहा उन सभी लोगो को गांव वालो ने मार डाला।
राजा ने चोक कर पूछा क्या ? ओर राधा का क्या हुआ,,,, पंडित ने कहा राधा का छोटा भाई उस उसकी मौसी के पास ले गया।
फिर कुछ दिन बाद राधा अकेले ही वापस आ गई। राजा ने कहा राधा इसी गांव में है।
पंडित बोला हा पर पागल सी हो गई है अपने परिवार की मौत का सदमा नहीं बर्दाश कर पा रही है।
अकेले ही उस घर में भटकती रहती है। राजा दौरान राधा से मिलने चल पड़े,, तभी पंडित ने आवाज दी और एक ताविज दी और कहा जाने से पहले इसे अपने गले में बांध लीजिए।
राजा ने ताविज बांध ली और चल दिया सीधे राधा के घर का दरवाजा खोला तो कोई नहीं दिखाई दिया।
राजा के पछे कोई अवाजसुनाई दी राजा पल्टे तो सामने राधा खड़ी थी बहुत ही कमजोर ओर बेबस हालत में।
राजा को देख राधा रोने लगी और पूछने लगी तुम पहले क्यों नहीं आय।
राजा ने जवाब दिया अब आ गया हूं। अब ने तुम्हे यहां नहीं रहने दूंगा मेरे साथ चलो राधा।
राजा ने जैसे ही राधा का हाथ पकड़ा राधा झतके में दूर जा गिरी ओर उसका हाथ जल गया।
राजा चोका तब उसका हाथ अपने गले पर गया तो वो ताविज पकड़ में आई जो पंडित ने दी थी।
राजा को समझ आया राधा अब बदल चुकी है, राधा के सभी परिवार वाले भी राजा के सामने आ गए।
खिड़की में से वो बूढ़ा भयानक लाल आंखो से राजा को देख रहा था।
राजा चारो तरफ से घिर चुके थे। उन्हें लगा अब उनका बचना ना मुम्किन है।
तभी घर के बाहर घोड़े कि आवाज सुनाई दी राजा एक ही सास में दौड़ा ओर छलाग लगाते हुए घोड़े पर चढ़ा।
बिना रुके घोड़ा भी दौड़ता रहा और पीछे राधा और उसका परिवार राजा के पीछे टूट पड़े ।
राधा अपनी मीठी – मीठी बातों से राजा को रोकने की कोशिश करने लगी।
लेकिन राजा समझ चुका था,,,, अब राधा ओर उसका परिवा इंसान नहीं है बल्कि पिसाच है।
किसी तरह राजा साहब उस गांव से बाहर निकाल आया अपनी जान बचाई।
कुछ दिन बाद उस मंदिर में बसे लोगो को भी उस गांव से बाहर निकाल।
राजा साहब के मन में राधा को खोने का गम कभी नहीं गया उनके मन में हमेशा यही बात खलती थी जिस दिन उस गांव से गए काश उसी दिन राधा को भी अपने साथ ले गए होते।
End of the Story -Landlord’s girlfriend became a vampire