King of Good Times के नाम से जाने जाने वाला है विजय माल्या जो बैंकों को कंगाल कर भाग निकला था।
Vijay Mallya के ना तो अभी ठाट कम हुआ है। और ना तो उसकी अय्याशी भरी जिंदगी में कोई फर्क पड़ा है। भारतीय बैंकों को चुना लगा कर भाग जाने वाला विजय माल्या ठग कैसे बना।
U B Group यानी यूनाइटेड ब्रेवरीज ग्रुप के मालिक विजय माल्या
2005 में एयरलाइंस सेक्टर में उतरने का ऐलान किया और अपने बेटे सिद्धार्थ माल्या के जन्मदिन पर उसे एक नई कंपनी का गिफ्ट दे दिया।
इसके अलावा Vijay Mallya ने प्रीमियम ब्रांड की एयरलाइंस कंपनी बनाई जिसमें पैसेंजर्स को नए तरीके का अनुभव देने का प्रॉमिस किया।
माल्या ने 70 एयरवेज का एक बड़ा बनाया और पैरिस से इंटरनेशनल एयर शो में एक साथ 50 एयरवेज खरीदने का ऐलान किया। उन दिनों मालिया के अच्छे दिन थे।
देश की इकोनॉमी की रफ्तार काफी तेज थी और अनुमान लगाया जा रहा था कि भारत चीन को पीछे छोड़ देगा। 2 साल तक किंगफिशर कंपनी मुनाफे में चली।
इसके बाद 2007 में किंगफिशर एयरलाइंस ने 550 करोड़ में एयर डेक्कन का सौदा कर लिया।
लेकिन विजय माल्या ने इस धंधे में अपना खानदानी पैसा नहीं लगाया था किंगफिशर एयरलाइंस में सारा पैसा कर्ज का था जो 17 बैंकों से लिया गया था। इस कर्ज पर ब्याज की रकम काफी अच्छी खासी थी।
Vijay Mallya खुद इस किंगफिशर एयरलाइंस से 33 करोड़ 40 लाख रुपए की सालाना सैलरी लेता था। 2008 और 2009 की मंदी में हालात बिगड़ने शुरू हो गए। कंपनी घाटे में जाने लगी और कर्जदारों का ब्याज चुकाने में नाकाम होने लगी।
2008 में तेल के दाम बढ़ने की वजह से किंगफिशर को 934 करोड़ का घाटा हुआ जिसके लिए कर्ज लिया था। इस तरह से यह कर्ज 2009 में बढ़कर 5965 करोड़ हो गया जो ब्याज के साथ साथ 7 हजार करोड़ को पार कर गया।
इस ठग ने IDBI बैंक को चुना लगाया।
उसने किंगफिशर के कर्मचारियों को सैलरी देने और ऑपरेशन जारी रखने के लिए 861 करोड़ रुपए का लोन मांगा। कंपनी के अकाउंट में कुछ नहीं बचा था।
लोन सारे ऐसेट्ड से ज्यादा हो चुके थे और और इसी कारण कर्ज लेने के लिए विजय माल्या ने बैंक अफसरों को 16 करोड़ की रिश्वत दी।
इसके बाद जब लोन के पैसे मिले। तो उसने किंगफिशर में ना लगा कर खोखा कंपनी की सहायता से यूरोप के खातों में पहुंचा दिया।
इस पैसे से F1 रेस कराई गई
विजय माल्या 2010 में राज्यसभा का सदस्य बनकर संसद पहुंच गया। उधर किंगफिशर एयरलाइंस के कर्मचारियों ने सैलरी के लिए सड़कों पर उतरना शुरू कर दिया। और सरकार के हाथ पैर फूलने लगे।
खुद प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने ऐलान किया था।
कि सरकार एविएशन सेक्टर को डूबने नहीं देगी। सरकार और RBI के कहने पर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व में 17 सरकारी बैंकों ने किंगफिशर एयरलाइंस को दिए गए लोन का पुनर्गठन किया गया।
किंगफिशर को बचाने की कोई कोशिश काम नहीं आई। इसके बाद 2011 में इस कंपनी का लाइसेंस रद्द हो गया और कंपनी बंद हो गई। तब से कर्ज वसूली की प्रक्रिया चल रही है।
विजय माल्या भाग चुका और बैंकों को किंगफिशर एयरलाइंस के सारे कर्ज NPA में डालने पड़े हैं।
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