Vishnu ji and Mata Lakshmi Ji: रक्षाबंधन की एक अनसुनी कहानी शायद ही आपने सुनी होगी।

यह कहानी भगवान Vishnu से संबंधित है। एक बार की बात है राक्षस राजा बलि ने 100 यज्ञ पूर्ण करने का संकल्प लिया था जिसके पूर्ण होते ही वो तीनो लोग पर आधिपत्य जमा लेता। उस समय सारे देवता चिंतित हो उठे थे।

उस समय सभी देव मिलकर भगवान Vishnu के पास अपनी चिंता प्रकट करने के लिए गए भगवान विष्णु से प्रार्थना की।

जिसके बाद भगवान Vishnu जी ने वामन अवतार धारण धारण कर राजा बलि के यज्ञ में पहुंचे और राजा बलि सर्वश्रेष्ठ दानी था यज्ञ के दौरान जो भी भिक्षु उनके पास आता है

वह उनकी सभी मनोकामना पूर्ण करते वामन अवतार भगवान विष्णु जी जब राजा बलि के यज्ञ में पहुंचे तब राजा बलि ने उनसे मनवांछित इच्छा मांगने को का उस समय वामन अवतार भगवान विष्णु ने राजा बलि से का की है।

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राजन मैं आपसे जो कुछ मांगूंगा क्या आप मुझे देंगे। तब राजा बलि ने वचन देते हुए कहां कि आप जो कुछ भी मांगेंगे मैं आपको दूंगा थोड़ी ही देर बाद वही दैत्य गुरु शुक्राचार्य आ गए। जब वहां उन्होंने वामन अवतार विष्णु जी को देखा तब वह उन्हें पहचान गए तब उन्होंने राजा बलि को सचेत किया की है।

राजन यह जो दिख रहे हैं वह है नहीं असल में यह भगवान विष्णु है जो वामन अवतार में आपके पास आए हैं।

यह सुनते ही राजा बलि थोड़े चिंतित हो गए लेकिन उन्हें बाद में समझ आया कि वह वचनबद्ध है। तब उन्होंने कहा की है गुरु श्रेष्ठ मैं वचनबद्ध हूं मुझे इनकी मांगी हुई इच्छा पूरी करनी होगी तब उसी समय दैत्य गुरु शुक्राचार्य ने राजा को श्राप दिया तुम लक्ष्मी ही हो जाओगे।

तुम्हारा धन सब छिन जाएगा। ऐसा श्राप देते हुए वह वहां से चले गए। तब राजा बलि ने वामन अवतार भगवान विष्णु भगवान विष्णु जी से कहा की है ब्राम्हण मांगी है

आपकी क्या इच्छा है तब भगवान विष्णु जी ने राजा बलि से 3 पग भूमि मांगी तब राजा बलि ने कहा है सिर्फ 3 पग। तब वामन अवतार भगवान विष्णु ने कहा हां राजन सिर्फ 3 पग जितनी में अपने पैरों से नाप लू  तब राजा बलि ने कहा ठीक है।

नाप लीजिए तब वामन अवतार भगवान विष्णु जी ने अपना विराट रूप धारण किया और 1 पग में स्वर्ग लोक और 2 पग में पूरी धरती को नाप लिया। तब वामन अवतार भगवान विष्णु जी ने कहां की है राजन मैंने अपने 2 पदों में सारी सृष्टि नाप ली।

अब मैं अपना 3 पग कहां रखूं। तब राजा बलि चिंतित हो गए और उन्होंने स्नेहर से कहा की है प्रभु आप अपना 3 पग मेरे सर पर रखें।

राजा बलि की इस भक्ति को देख वामन अवतार भगवान विष्णु जी प्रसन्न हो गए और राजा बलि से कहा है हे राजन मैं तुम्हारी कोई भी एक इच्छा पूरी कर सकता हूं तो मांगू क्या चाहिए

तब राजा बलि ने कहा कि हे प्रभु मेरा स्थान कहां होगा तब भगवान विष्णु जी ने कहा कि तुम रसातल लोक में रहोगे तब राजा बलि ने कहा कि हे प्रभु आप मेरे साथ वही रात दिन रहोगे यह मेरी इच्छा है तब भगवान विष्णु जी ने रसातल लोक में उनके साथ प्रस्थान किया और वहां पर उनके द्वारपाल बनकर रहने लगे यह देख लक्ष्मी जी चिंतित हो गई।

यदि भगवान विष्णु जी रसातल लोक में द्वारपाल बनकर रहेंगे तो वैकुंठ का क्या होगा।

तब लक्ष्मी जी की चिंता देख कर नारद जी लक्ष्मी जी के पास आए और उन्होंने माता लक्ष्मी जी को एक सुझाव दिया। के श्रावण मास के अंतिम दिन की पूर्णिमा में आप तो रसातल लोक पहुंचे और राजा बलि को अपना भाई बना ले तब माता लक्ष्मी जी ने नारद जी के सुझाव अनुसार वैसा ही किया।

और उन्हें राखी बांधकर अपना भाई बना लिया तब नारद जी ने माता लक्ष्मी जी मैं अपने पति भगवान Vishnu जी को उपहार स्वरूप मैं प्राप्त किया और और वे वैकुंठ लौट आए इसी प्रकार इस दिन से रक्षाबंधन मनाया जाने लगा।

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