Who is the first Indian actor elected as member of parliament? संसद के सदस्य के रूप में चुने गए पहले भारतीय अभिनेता कौन हैं?

First Indian actor elected as Member of Parliament.

ऐसा कहा जाता है कि हैं हर चीज में खूबसूरती होती है। लेकिन हर कोई उसे देख नहीं पाता।

हमारे हिंदी सिनेमा में भी ऐसे कई महान कलाकार रहे हैं। जो जिन्होंने अपने कला व संस्कृति का ऐसा बेजोड़ नमूना पेश करते हुए।

अभिनय की बारीकियों को बड़ी खूबसूरती से दुनिया तक पहुंचाया है।

एक ऐसे महान कलाकार और अभिनय के बादशाह कपूर खानदान के शीश पृथ्वीराज कपूर जो First Indian actor elected as member of parliament यह चुके हैं।

जिन्होंने अपनी सच्ची कला से हर सिने प्रेमी के दिल में आज भी अपनी जगह बना रखी है।

आज के समय में कपूर खानदान की चौथी पीढ़ी अपनी कला का पर्चम लहरा रही है।

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यह सभी हिंदी सिनेमा में अपना योगदान दे कर आज भी अपने परिवार की परंपरा को जिंदा रखे हुए हैं। इस चौथी पीढ़ी से तो आप अच्छी तरह से वाकिफ होंगे।

पृथ्वीराज कपूर ने अपने परिवार की ही नहीं हिंदी सिनेमा की नींव को भी मजबूत किया।

पृथ्वीराज कपूर को हिंदी सिनेमा में पापा जी के नाम से भी जाना जाता है।

हिंदी सिनेमा के पितामह यानी पृथ्वीराज कपूर का जन्म 3 नवंबर 1906 को समुद्री में हुआ जो कि अब पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका है।

पृथ्वीराज को बचपन से ही कला और अभिनय में रुचि थी।

जिसके चलते वह कई नाटकों का भी हिस्सा बनते रहते थे। 1927 में पृथ्वीराज ने पेशावर के एडवर्ड्स कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया।

उसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की ताकि वह वकील बन सके। लेकिन उनका ध्यान अभिनय की ओर इतना ज्यादा रहा कि वह वकालत की परीक्षा में असफल हो गए।

1929 में अपने सपनों को नई उड़ान देने के लिए माया नगरी बम्बई की ओर निकल पड़े। वहां वह इंपीरियल फिल्म्स में भर्ती हो गए।

उस समय मूक फिल्मों का जमाना था। अपनी पहली फिल्म में तो वे सपोर्ट इन रोल में नजर आए।

लेकिन दूसरी फिल्म सिनेमा गल में इन्होंने मेन लीड का किरदार निभाया। कई मूक फिल्मों में काम करने के बाद साल 1931 में बोलने वाले मूवी का दौर आया।

पहली ही फिल्म आलम आरा में पृथ्वीराज ने मुख्य किरदार निभाया वह इस फिल्म में खलनायक के किरदार में नजर आए।

1937 में आई फिल्म विद्यापति में उनके काम की बहुत सराहना की गई। 1941 की फिल्म सिकंदर ने तो जैसे कमाल ही कर दिया था।

पृथ्वीराज कपूर का पहला प्यार फिल्म नहीं थिएटर था। आलम यह रहा कि 1944 में अपना खुद का पृथ्वी थियेटर्स खोल लिया।

जिसने उनका पहला नाटक कालिदास का अबे जाम का शकुंतला काफी पसंद भी किया गया। इनका थिएटर एक मूव्वींग थिएटर था।

जिसे वह अलग अलग देश के जिलों में लेकर घूमते और नाटक करते। लेकिन 1950 आते-आते यह बात साफ हो गई कि रंगमंच से पैसा कमाना थोड़ा मुश्किल है।

वह 1951 की फिल्म आवारा में अपने बेटे राज के साथ एक कठोर न्यायाधीश के रूप में दिखाई दिए।

1952 से 1959 बीच पृथ्वीराज कपूर First Indian actor elected as member of parliament चुने गए।

उनकी थिएटर में काम करने वाले कई कलाकारों ने भी अपना रुख फिल्मों की ओर कर लिया था।

जिसके चलते 1960 में उन्हें पृथ्वी थिएटर बंद करना पड़ा। उसी वर्ष आई फिल्म मुग़ल-ए-आज़म में निभाए उनके बादशाह अकबर के किरदार को भला कौन भूल सकता है।

फिल्म एक एवरग्रीन ब्लॉकबस्टर हिट साबित हुई। इतना ही नहीं उन्होंने अपने बेटे राज कपूर और शम्मी कपूर के साथ भी फिल्मों में काम किया।

1927 में पृथ्वीराज ने पेशावर के एडवर्ड्स कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया। उसके बाद उन्होंने कानून की पढ़ाई की ताकि वह वकील बन सके।

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